For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रथम पुष्प अर्पित तुमको, मसलो या श्रृंगार करो,
आया तेरे द्वार प्रभु, मेरा बेड़ा पार करो ,

चाहत थी जीवन की मेरी, दुखियों का दर्द उधार लूं
उजड़ चुके है जिनके घर, उनको एक नव संसार दूं

दामिन दमकी जला आशियाँ, ऐसी मची तबाही,
रही अधूरी मेरी तमन्ना, ऐसी आंधी है आई,

छाया तम है जीवन में, आशा की किरण कोई नहीं,
सर्वस्व समर्पित चरनन मां, जीवन में कुछ शेष नहीं,

श्रद्धा सुमन अर्पित तुमको, मन उपवन क्यूँ खाली,
हरा भरा रखना डाली को, इस जीवन का तू माली |

(संशोधित)

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 6:03pm

आदरणीय. जवाहर भाई जी , सादर अभिवादन , आपको कोई रोक सकता है. धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 6:00pm

धन्यवाद राजेश कुमारी  जी.  नमस्कार  आपने  भावों को सराहा.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:47pm

धन्यवाद नीरजा जी.  नमस्कार  आपने  भावों को सराहा.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:39pm

आदरणीय सौरभ जी सादर अभिवादन

जीवन का उद्देश्य सृजनात्मक ही रहा है,

आगे  भगवान की मर्ज़ी ,

स्नेह अपेक्षित है.  

धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:30pm

स्नेही मीनू जी धन्यवाद 

Comment by minu jha on March 4, 2012 at 2:39pm

बहुत सुंदर कुशवाहा जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2012 at 12:00pm

आदरणीय प्रदीपजी, सादर प्रणाम.  इस मंच पर आपकी उपस्थिति की परिचयात्मकता प्रस्तुत उच्च-भाव संवर्धित रचना से निरुपित हो रही है जो आपकी आध्यात्मिक वैचारिकता का स्वयं ही बखान है.

विश्वास है,  आपका शुभागमन इस मंच की आवश्यक गति एवं इसके उन्मुक्त उठान हेतु महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक कारक होगा.  सादर. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2012 at 8:06am

prabhu vandna bahut achchi lagi mangal kamnayen.jab maa ko man hi arpit kar diya to suman ki aupcharikta kaisi.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 4, 2012 at 8:00am

प्रणाम महोदय,
आपका मुस्कुराता चेहरा और सुंदर पुष्प को मान की बगिया मे सज़ा लू
आपसे दोस्ती कर दुनिया बसा लू

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 4, 2012 at 7:59am

pranaam mahoday,

श्रद्धा सुमन अर्पित तुमको मन उपवन क्यूँ खाली
हरा भरा रखना डाली को इस जीवन का तू माली// hindi likhne me kuch dikkat mahsoos kar raha hoon isliye copy paste ka sahara le raha hoon.
saadar.-Jawahar.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service