For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमावास की रात अब बहुत सुकून देती है
वो भी भादों की अमावास हो तो क्या कहने
उसके अलावा हर रात को
किसी न किसी पहर चाँद आ ही जाता है

वो चेहरा
जिस पर मै नाज़ करता था

जिसे मै बस अपना समझता था
दिख जाता है इस निशापति में

 

 

 

इसकी चांदनी
इसकी झलक
ठेल देती है मुझे अतीत में

 जब मै अपने चाँद को
हाथों में लेकर
देखा करता था
अद्भुत सौंदर्यपूर्ण, दागरहित
लगता,  इसी से सृष्टि दृष्टिगोचर है


एक पूरनमासी,
जो अँधेरा भर गयी मेरे जीवन में
चाँद मेरे सामने था, और भी चमकदार
किन्तु मेरी निशा काली, और भी काली
 वो मेरी हथेलियों से छलक कर,

अन्य अंक का हो गया था
इस गुरुत्व प्रभाव से दृग समंदर में

ज्वारीय तूफ़ान उमड़ पड़ा था

चक्षुपट जब तक रोकें
झरना अपनी सरहदें छोड़ चुका था
मेरे लिए बची थी
उजली रात की काली रजनी
भादों की अमावास

Views: 806

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by deepti sharma on July 12, 2012 at 1:19am

बहुत खूब. बधाई.

Comment by AK Rajput on December 5, 2011 at 11:23am

चक्षुपट जब तक रोकें
झरना अपनी सरहदें छोड़ चुका था...
शानदार प्रस्तुति ,

Comment by आशीष यादव on October 13, 2011 at 8:39am

thank you aadarniya mohinichordia ji.

Comment by mohinichordia on October 5, 2011 at 7:27am

 बहुत  मार्मिक रचना है आपकी 

 

Comment by आशीष यादव on October 2, 2011 at 11:35pm

आदरणीय श्री Arun Kumar Pandey 'Abhinav' जी, एवं Veerendra Jain जी,

आप लोगो ने मेरी रचना को मान दिया| मुझे बहुत हर्ष हो रहा है| आप लोगो का आशीर्वाद यूँ  ही  मिलता रहेगा तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी| 
आप लोगों को धन्यवाद|

Comment by Abhinav Arun on October 2, 2011 at 12:59pm

आहा ! आशीष जी यह नयी रचना आपकी रचनाधर्मिता की ऊँची उड़ान की परिचायक है और वो भी बहुत सशक्त !! हार्दिक बधाई इस शानदार प्रस्तुति के लिए !!

Comment by Veerendra Jain on September 29, 2011 at 1:59pm

bahut hi badhiya rachna..ashish ji..bahut bahut badhai ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 27, 2011 at 9:16pm

आपका आभार आशीषजी. आपने जो बहुत मान दिया है.

धन्यवाद.

 

Comment by आशीष यादव on September 27, 2011 at 2:58pm

आदरणीय sanjiv verma 'salil' जी, आदरणीय Brij bhushan choubey जी, एवं आदरणीय Saurabh Pandey जी, आप लोगो को मेरी यह रचना अच्छी लगी यह जान कर मै बहुत खुश हूँ| एवं धन्यवाद देता हूँ|

 आदरणीय Saurabh Pandey जी, आप का सुझाव अच्छा है,  इस से थोडा सा अर्थ बदल रहा है जो की अच्छा ही है| मेरे लिखे का अर्थ पूरी दुनिया के लिए और आप के सुझाव का अर्थ मेरे लिए है| अच्छे सुझाव के लिए मै धन्यवाद देता हूँ|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 27, 2011 at 1:49pm

//चक्षुपट जब तक रोकें

झरना अपनी सरहदें छोड़ चुका था

मेरे लिए बची थी

उजली रात की काली रजनी

भादों की अमावास//

इन पंक्तियों पर मेरी बधाइयाँ लें. 

 

 

//लगता, इसी से सृष्टि दृष्टिगोचर है //

’इसी से’ की जगह ’इसी में’ क्या सर्वोचित न होगा ? देखियेगा. 

इस परिमार्जन को सतत बनाये रखें. शुभेच्छा .. .


कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service