For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम आज के इंसान हैं

हम आज के इंसान हैं, हम आज में जीते हैं.
वो और लोग होंगे, जो समाज में जीतें हैं.
गीता- कुरान पढ़तें हैं, मानते नहीं.
इंसान हैं, इंसानियत को जानते नहीं.
ज़ख़्मी को देखतें हैं, ठहरते नहीं.
लाल खून देखकर, सिहरते नहीं.
हम वो घड़े हैं जो, संवेदना से रीते हैं.
हम आज के इंसान हैं, हम आज में जीते हैं.
15 अगस्त आता है, तो राष्ट्र-गान गाते हैं.
घर के मुंडेर पर, तिरंगा भी फहराते हैं.
रचनाकार हैं, रचनाधार्मिता को पोसते हैं.
राष्ट्र की दुहाई देकर, शासन को कोसते हैं.
हम साहित्य के कुशल दर्जी हैं, पेबंद सीते हैं.
हम आज के इंसान हैं, हम आज में जीते हैं.
घर के आगे कूड़ा डालकर, गन्दगी दिखाते हैं.
नल हो या नाला, दोषी सरकार को ठहराते हैं.
हड़ताल का हथियार दिखा, रोज कुछ माँगते है.
कर्तव्य से भले मुहं मोड़ लें, अधिकार मगर चाहते हैं.
नशा- विमुक्ति पर लिखते भले मापतपुरी, हर शाम मगर पीते हैं.
हम आज के इंसान हैं,हम आज में जीते हैं.
गीतकार- सतीश मापतपुरी
मोबाइल - 9334414611

Views: 290

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rash Bihari Ravi on September 23, 2010 at 5:28pm
namaskar

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 11, 2010 at 9:10am
गीता- कुरान पढ़तें हैं, मानते नहीं.
इंसान हैं, इंसानियत को जानते नहीं.
हम साहित्य के कुशल दर्जी हैं, पेबंद सीते हैं.
हम आज के इंसान हैं, आज में जीते हैं.
नशा- विमुक्ति पर लिखते भले मापतपुरी, हर शाम मगर पीते हैं.
हम आज के इंसान हैं, आज में जीते हैं.
जबरदस्त सतीश भईया, बहुत बहुत बधाई इस रचना पर, कथनी और करनी मे बहुत अंतर आ गया है, एक बार फिर सुंदर रचना .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service