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ग़ज़ल (हमें तुम से कोई शिकायत नहीं है)

122 - 122 - 122 - 122

हमें तुम से कोई शिकायत नहीं है

तुम्हें भी तो हम से महब्बत नहीं है

जो शिकवा था हमसे हमें ही बताते 

यूँ बदनाम करना शराफ़त नहीं है 

किया जो भरोसा तो कर लो यक़ीं भी

तुम्हारे सिवा कोई चाहत नहीं है 

ख़फ़ा होके हमसे जुदा होने वाले 

ज़रा कह दे हमसे अदावत नहीं है 

करोगे वफ़ा जो वफ़ा ही मिलेगी 

महब्बत की ऐसी रिवायत नहीं है 

तुम्हें दिल के बदले ये जाँ हमने दी जो

महब्बत है कोई तिजारत नहीं है 

जुदाई का शिकवा करें उनसे क्या हम

कि जब साथ अपनी ही क़िस्मत नहीं है 

जो रुसवा करें प्यार को ख़ुद ही अपने 

'अमीर' अपनी ऐसी तो फ़ितरत नहीं है 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

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Comment

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Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 30, 2021 at 7:49pm

जनाब नाथ सोनांचली जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।  सादर ।

Comment by नाथ सोनांचली on March 30, 2021 at 5:41pm

आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर' जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

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