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हमारा आज और कल एक सिक्के के दो पहलू हैं 

सुनहरे कल के लिए आज की बलि मत चढ़ा दो 

माना की आज ज़िंदगी कठिन है पर जीना जरूरी है 

उसके लिए अपने  भविष्य को बचाना है 

तिनके का सहारा लेकर हमें जाना है उस पार ।  

हिम्मत न हार तूफान से टकरा 

अपने कल के लिए कठिन संघर्ष कर 

आया भयंकर तूफान खतरे में जग जहान है 

आशा की पतवार है किश्ती नदी मझधार है 

हिम्मत न हार हमें जाना है उस पार । 

मंजिल  पर दूर तक कोई नजर नहीं आता 

छोटा है तो क्या हुआ,पर  रिश्ता निभाता है 

इस भंयकर तूफान में कोई रास्ता दिखाता है 

 हौसला बुलंद रख विजय अपनी होगी 

हिम्मत न हार हमें जाना उस पार । 
.

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Ram Ashery on November 25, 2020 at 9:33pm

मेरे उत्साह वर्धन के लिए आपको सहृदय आभार स्वीकार हो । 

Comment by Samar kabeer on November 25, 2020 at 6:43pm

जनाब राम आश्रय जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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