For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फागुनी दोहे " होली 2013 " -

दस फागुनी दोहे  " 2013 "

तेरी ही खातिर सजे रंग अबीर के थाल ,
तेरे आने से हुई मेरी होली लाल ।

रंग पर्व में घुल गए इंतज़ार के रंग ,
होली सच में शोभती अपनों के ही संग ।

सरसों टेसू और पलाश हैं बसंत के दूत ,
रंग रूप से कर रहे मादकता आहूत ।

लज्जा तेरा रंग है मेरा रंग संकोच ,
ऐसे में कैसे मने होली तू ही सोच ।

मुझको अब भी याद है वो होली वो फाग ,
तन पर रंग था प्रीत का मन में प्रीत की आग ।

माँ तेरे हाथों बनी गुझिया का वो स्वाद ,
लगता हरपाल साथ है तेरा आशीर्वाद ।

पिचकारी थी पांच की दस पैसे का रंग ,
दिनभर हम भी गाँव में करते थे हुडदंग ।

कहाँ पुलक उत्साह है कहाँ आपसी स्नेह ,
शहरों में हम ढो रहे अपनी छूछी देह ।

                           - अभिनव अरुण
                              {25032013}

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on April 24, 2013 at 10:06am

दोहों के मर्म आप तक पहुँचने में सफल रहे ये मेरे लिए आशीष के समान है आदरणीय श्री आशीष त्रिवेदी जी आभार आपका !!

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 23, 2013 at 10:44am

बहुत खूब अभिनव जी। होली के लगभग एक माह के बाद भी अबीर गुलाल की महक जेहन में बस गयी। सच है त्योहारों का उत्साह महज औपचारिकता बनता जा रहा है।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2013 at 4:49pm

भाई अभिनव अरुणजी. ..

छंदोत्सव और काव्य महोत्सवों में इस छंद पर सबसे अधिक बातें होती हैं. इसी मंच के भारतीय छंद विधान समूह में दोहा शिल्प पर आलेख है. 

सुधीजनों ने आपकी प्रस्तुत छंद-प्रस्तुति में वर्तमान शिल्पगत दोषों के प्रति आपको अगाह नहीं किया, यह देख कर मैं चकित भी हूँ. मेरे कहने को अन्यथा आप नहीं लेंगे यह आशा है, आशय समझियेगा. 

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

सादर धन्यवाद

Comment by Abhinav Arun on March 26, 2013 at 4:24pm

       आदरणीया डॉ प्राची जी ! आपने जिन विन्दुओं की और ध्यान दिलाया , आभार आपका कृपया त्रुटी पूर्ण समस्त दोहे बता दें तो उन्हें एडिट कर दूं । मैं दोहा विधा को भली प्रकार नहीं जानता , स्वीकार है । आपको  होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 26, 2013 at 1:49pm

आदरणीय अरुण अभिनव जी,

बहुत समय बाद आपकी रचना ब्लॉग पर देख कर बहुत खुशी हुई...

बहुत सुन्दर होली के रंग बिखेरे हैं आपने इस दोहावली में... पर शिल्प और मात्राएं कई जगह आगे पीछे हो गयी हैं..

बेहद अदभुत है तो है....गुरु गुरु से अंत नहीं होता विषम चरण का

संस्कार के पाँव पर श्रद्धा का टीका ,

ये है तो सब है यहाँ वरना सब फीका ...सम चरण का अंत हमेशा गुरु लघु से करना होता है ..

सादर  शुभकामनाएँ 

Comment by Abhinav Arun on March 26, 2013 at 1:31pm

श्री ब्रिजेश जी दोहे   प्यारे लगे प्रयास सफल हुआ हार्दिक बधाई होली की और आभार आपक्पा !!

Comment by Abhinav Arun on March 26, 2013 at 1:30pm

बहुत बहुत शुक्रिया राम शिरोमणि जी !!

Comment by Abhinav Arun on March 26, 2013 at 1:29pm

श्री राजेश जी होली की हार्दिक बधाई सहित आभार आपका !!

Comment by Abhinav Arun on March 26, 2013 at 1:29pm

हार्दिक आभार श्री केवल जी दोहे आपको पसंद आये लिखना सार्थक हुआ !!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 25, 2013 at 5:29pm

आदरणीय श्री अभिनव अरूण जी, जितने प्यारे दोहे उतनी ही प्यारी फोटो,  बहुत बहुत सुन्दर!  बधाई स्वीकारें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
18 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
18 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service