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जिनकी मातृ भाषा हिन्दी है वे हिन्दी का कितना प्रयोग करते हैं। यह सोचनीय है लेकिन एक अच्छी बात यह है हिन्दी बोलने वालों की,, कि वे दूसरी भाषाओं को आसानी से प्रयोग करने का प्रयास करते हैं और यही कारण है कि हिन्दी का प्रयोग भी बढता जा रहा है। यह सत्य उस तरह से है जैसे कोई दूसरे से अच्छा व्यवहार करता है तो सामने वाला भी उससे उतना ही अच्छा व्यवहार करता है।

उदहारण के लिये अंग्रेजी है जिसको प्रयोग करन...
े वाले लोगों ने बहुत ही शीघ्रता के साथ अन्य भाषाओं को सीखा है। और उतना ही ज्यादा प्रसार अंग्रजी का हुआ।। और दूसरी तरफ ऊर्दू पढने वालों ने अन्य भाषाओं को सीखना जरूरी नहीं समझा व उनसे घृणा करते रहे जिसके फलस्वरूप अन्य लोगों ने ऊर्दू से घृणा करनी शुरू कर दी। और उसका प्रसार नहीं हो सका। या संस्कृत के बारे में कह लीजिये।
तो हम कह सकते हैं कि आप दूसरी भाषाओं को जितना सम्मान देंगे उतना ही आपकी भाषा का प्रसार होगा।
आपको क्या लगता है। आपके विचारों का स्वागत है।।
सूबे सिंह सुजान

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Comment by सूबे सिंह सुजान on November 26, 2012 at 11:30pm
जी . आभार
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 25, 2012 at 2:58pm

जो बोया जायेगा वाही काटा जायेगा. 

अंग्रेजी जो मिलता गया साथ ले विकसित हुई. 

जिस भाषा ने उदारता का परिचय नहीं दिया, केवल सजाव श्रंगार में लगी रही, उसका क्या करना. 

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