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यूँ तो अपना था वो कहने को

पर वो अपना हो ऐसा एहसास कहाँ,
उनके दिल में उतर कर देखा जो ख़ुद को
तो जाना उनके दिल में अपना ठौर कहाँ,
ख़ुद तजुर्बा ये मैने है पाया
इस दुनिया में वफ़ा का मोल कहाँ,
झूठे वादों पर चलती है दुनिया
सच का तो अब है मौन यहाँ,

यूँ तो अपना था वो कहने को
पर वो भी अपना हो ऐसा एहसास कहा,

मौलिक/ अप्रकाशित

रोहित डोबरियाल "मल्हार"

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Comment

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Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on August 3, 2021 at 7:07pm

ज़नाब Samar kabeer साहब जी, शुक्रिया

Comment by Samar kabeer on August 3, 2021 at 7:01pm

जनाब रोहित जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।तो

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