For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Amod shrivastav (bindouri)'s Blog – November 2015 Archive (9)

वो मेरा दिल है

बहर 2122/1122/1122/22



वो मेरा दिल है शिकायत से पता लिखता है।

मेरे खातिर वो इबादत -ओ- दुआ लिखता है।।



कोरे कागज में सरारत से खता लिखता है।

जब भी लिखता है मुहब्बत है जता लिखता है।।



उसकी रंगत में छिपा चाँद है वो शहजादी।

ख्वाब हर रात को उसकी ही अदा लिखता है।।



कौन शायर है शहर का युँ तिजारत वाला ।

शोख नजरों के इशारों को दगा(बिका) लिखता है।।



वो किसानों के घरों में हैं पकी फसलों सी।

उनकी खुश्बू से खलिहान छठा लिखता…

Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 29, 2015 at 11:00am — 4 Comments

बड़ा डिजटल जमाना हो गया है

बड़ा डिजटल जमाना हो गया है

1222/1222/122



बड़ा डिजटल जमाना हो गया है

कठिन इज्जत बचाना हो गया है



पला माँ बाप की छाया जो बेटा

वही बेटा बेगाना हो गया है



खुला अस्मत लुटा आई है बेटी

मुहब्बत है बहाना हो गया है



सियासी हो गयी रिश्तों की दुनियां

जटिल रिश्ता निभाना हो गया है



गरीबों का हितैशी हूँ ये जुमला

चुनावी वोट पाना हो गया है



वो क्या जो देख बाबा रो पड़े हैं

कहा की घर पुराना हो गया… Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 23, 2015 at 2:28pm — 6 Comments

चलो आज रिश्ते बना कर निभालें

चलो आज रिश्ते निभा लें

122/122/122/122



चलो आज रिश्ते बनाकर निभालें.

खयालों को अपना नया घर बनालें.



बढ़ाओ मुलायम हथेली ये प्यारी

पिसाई हिना है इसे संग रचालें



बनोगी गुड़िया तो गुड्डा बनूगां

चलो साथ बैठो की शादी मनालेँ



लगे कुछ बुरा तो मुझें माफ़ करना

मुहब्बत है ऐसी की पागल बना ले



तेरी आँख भीगी न प्यारी लगेगी

तू नजरों में मोती ख़ुशी के सजा ले



न रश्में रिवाजे न मजहब पाबन्दी

मिटा के सभी जद दुनियाँ बसा… Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 23, 2015 at 2:24pm — 5 Comments

हम गरीबों को भी अपना

हम गरीबों को भी अपना ...

2122-2122-2122-212



धर्म मजहब लीक कैसी सब मिटा दे ऐ खुदा/

हम गरीबों को भी अपना कुछ पता दे ऐ खुदा//



मुद्दतें बीती नही आया कोई तेरा फ़ैसला/

निर्धनों के घर को आ के कुछ सज़ा दे ऐ खुदा //



रोज दानें बुन के लौटी माँ मेरी कहती तुझे/

जनता है वो खुदा है कुछ सदा दे ऐ खुदा//



रौशनीं भी इस धरा की खो गई जानें कहाँ/

अब बुझे सारे चिरागों को जला दे ऐ खुदा//



हो दिवाली गाँव घर-घर रौशनीं हो प्यार की/

भूख से… Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 8, 2015 at 11:41am — 3 Comments

बे-शक ही न्यारा होगा

22/122/22

बेशक ये न्यारा होगा
यह देश हमारा होगा

मिट जाएगा जब मजहब
सब का गुजारा होगा

सिद्दत से कितनी इसको
सब ने संवारा होगा

दुश्मन के काफिलों को
चुन-चुन के मारा होगा

वादी हवा ये गुलशन
सब कुछ ही प्यारा होगा

मौलिक/ अप्रकाशित
आमोद बिंदौरी

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 6, 2015 at 6:11pm — 7 Comments

बे सहारा होगा

22 /122/ 22
प्यासा किनारा होगा
सच बे-सहारा होगा

नित गीत बुनता रहता
बेसक कुँवारा होगा!!!!

करता है सजदा मस्जिद
क्या प्रीत हारा होगा???

निकला सुबह है घर से
घर बे -सहारा होगा

निकला है अपने घर से
कुछ तो सहारा होगा..!!!

आई है बरखा रानी
मौसम भी प्यारा होगा...

मौलिक/अप्रकाशित
आमोद बिंदौरी

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 6, 2015 at 4:18pm — 3 Comments

वो कहते हैं तू पत्थर है।

वो कहते हैं तू कट्टर (पत्थर) है

बहर:-1222-1222-1222-1222



नहीं मिलती तबीयत तो ,वो कहते हैं तू पत्थर है

मगर जाना नही उसने, की कितना मन समंदर है



हुई हरकत बुरी हमसे ,बदलने की जो कोशिस की

तभी मालुम हुआ हमको, खिलाड़ी तो सितमगर है



सिला अपनी मुहब्बत का,लिखा पन्ने पे जब मैंने

खुदा भी रो पड़ा बोला, धरा का तू सिकंदर है



जो मुंसिफ घर गया उनके, उधारी में दिया लेने

चिरागां हंस के बोला तब,अँधेरा तेरे अंदर है



बताओ रास्ता मुझको…

Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 1:30pm — 11 Comments

मुहब्बत का शहर हु मैं..

मुहब्बत का शहर हूँ मैं

बहर :- 1222-1222-1222-1222



मुहब्बत का शहर हूँ मै मुझे बस प्यार होता है

मगर तनहा वही होता है जो खुद्दार होता है





शिकायत है मुहब्बत की की जो रूठा नहीं लौटा

सियासत है कि फितरत है नही ऐतबार होता है



कभी मिटता नहीं दिल से मुहब्बत का वो पहला गम

के दिल में बस गया कुछ भी नही उपचार होता है



अगर पतझड़ जो आया है तो हिस्से में बहारे हैं

ये किस्मत तब पलटती है जहाँ मजधार होता है



बदलता रुख हवाओं का जरा… Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 1, 2015 at 2:57pm — 6 Comments

है हरा पीपल अभी जो....

है हरा पीपल

बहर:- 2122-2122-2122-212



है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की

कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की



प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते

वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की



लोक नजरों से बचा कर जो भिजाये थे कभी

उन गुलाबों में अभी खुसबू वही है आप की



वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की

लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की



(है पुरानी गर्त लिपटी कुछ किताबे वही)

कुछ पुरानी गर्त लिपटी उन किताबों में… Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on November 1, 2015 at 11:37am — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil is now a member of Open Books Online
46 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
Tuesday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service