For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Vikas rana janumanu 'fikr''s Blog (6)

महीन रेशम की डोरी है ये.

mere dost sankalp sharma ki sagaye pe kuch bhav vyakat karne ki koshish mai ye gahzal huee hai. umeed hai aapko pasand ayegi ..



---



महीन रेशम की डोरी है ये, ना ज़ोर इस पे तुम आज़माना

जहाँ ज़रूरत हो जीतने की, बस यूँ ही करना तुम हार जाना



न देखना एक दूसरे को...... भले ही आँखों मे प्यार क्यूँ हो

जो देखना हो, वो साथ देखो बस इक तरफ ही नज़र उठाना



कभी जो जाओगे बृंदावन तो बुलाना राधा ही राधा उसको

कन्हिया जो हो कहाना खुद तो, हां कान्हा जैसे नज़र… Continue

Added by vikas rana janumanu 'fikr' on May 13, 2011 at 1:00pm — 9 Comments

खाब की ताबीर होने से रही

खाब की ताबीर होने से रही
ऐसी भी तकदीर होने से रही


पहले सी झुकती नहीं तेरी नज़र
अब कमां ये तीर होने से रही

चाहे जितने रंग भर लो खाब के
पानी मे तस्वीर होने से रही

कर लो पैनी ' फ़िक्र' जितनी तुम कलम
जौक, ग़ालिब, मीर, होने से रही 

Added by vikas rana janumanu 'fikr' on November 8, 2010 at 10:25am — 3 Comments

~.. आपको हँसना हसाना चाहिए

आपको हँसना हसाना चाहिए

pyar का vaada निभाना चाहिए



कब तलक मैं ही निभाऊं रस्म-ए-इश्क़

आपको भी कुछ निभाना चाहिए



याद तो आएगी पल भर को मगर

भूलने को इक ज़माना चाहिए



खुद सर-ए-आईना हों वो एक दिन

खुद को भी तो आज़माना चाहिए



बोया जो है काटना होगा बही

सोच कर ही कुछ उगाना चाहिए



सारी फसलें खुद रखो कि))सान जी

चिड़िया को बस एक दाना चाहिए



मंदिर-ओ-मस्जिद ना जाओ हर्ज़ क्या

मैकदे हर शाम जाना चाहिए



फिर… Continue

Added by vikas rana janumanu 'fikr' on November 1, 2010 at 11:30am — 2 Comments

जानलेवा प्यार है, इस प्यार से तौबा करो

सभी को मेरा प्रणाम ... एक नयी कोशिश की है आपके सामने पेश है ...



बहर है 2122 212 2 212 2 212

मंज़िले अपनी जगह, रास्ते अपनी जगह ... आप इस गाने की धुन पे इसे गुनगुना सकते हैं ...

_____________________________________________________________________



जानलेवा प्यार है, इस प्यार से तौबा करो

नासमझ ये दिल सही तुम तो इसे टोका करो



किस तरफ हो जा रहे, इस राह की मंज़िल है क्या

देर थोड़ी बैठ कर, तुम दूर तक सोचा करो



तुम बचाओ मुझसे दामन, पास… Continue

Added by vikas rana janumanu 'fikr' on October 19, 2010 at 3:00pm — 10 Comments

दूर तुम हो पास अब तन्हाई है

दूर तुम हो पास अब तन्हाई है

ज़िंदगी किस मोड़ पर ले आई है



हुस्न वाले चैन छीने दर्द दें

अक्ल अब जा के ठिकाने आई है



काटनी होगी फसल तन्हाई की

पर्वतों सी हो गयी ये राई है



रात आधी चाँद पूरा नींद गुम

चोट दिल की भी उभर सी आई है



आजकल क्यूँ गुम से रहते हो बड़े

मुझसे पूछे रोज मेरी माई है



तुम न हो तो फ़िक्र करते सब मेरी

दोस्त पूछे, ध्यान रखता भाई है



दिल न लगता है किसी भी अब जगह

दिल लगाने की सज़ा यूँ पाई… Continue

Added by vikas rana janumanu 'fikr' on October 11, 2010 at 1:00pm — 5 Comments

घर - एक नज़्म

चाँद घुटनों पे पड़ा था

अम्बर की किनारी पे



शब-ए-काकुल मे

तरेड़ पड़ गयी थी

चांदनी की .......

"जैसे तेरी कोरी मांग,

मैंने अभी भरी नहीं "



माँ ने अंजल भर के तारो से

चरण-अमृत छिड़का हो

सारा आसमान जैसे सजाया हो

आरती की थाली की मानिंद

तेरा गृह-प्रवेश करने के लिए ....... !



.. पर इतना बड़ा आसमान

कैसे मेरे छोटे से घर मे समाता .....



" अच्छा होता मैं घर ही न बनाता"

मैं घर ही न बनाता ...… Continue

Added by vikas rana janumanu 'fikr' on October 9, 2010 at 3:30pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service