For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Deepak Kumar's Blog (3)

प्राकृतिक छटाः-

सुरज निकला है पुरब की ओर,

बिखरी है रोशनी चारो ओर।

आसमान के चाँद-तारे छिप गये,

जमीन के सारे नजारे दिख गये।।



मुर्गे ने बांग सबको सुना दिया,

हो गया सवेरा सबको बता दिया।

लोगों ने अपना बसेरा छोड़ दिया,

लगे काम पर कह सेबेरा हो गया।।



चिड़ियों ने गाना शुरू किया,

मिठे स्वर को फैलाना शुरू किया।

निकली चिड़ियाँ खुले आसमान में,

लग गयी भोजन की तलाश में।।



फुलों ने अपना खोला बदन,

लगीं फैलाने मनोहर पवन।

खुशबु ने इसके किया है… Continue

Added by Deepak Kumar on September 30, 2010 at 10:30am — 1 Comment

गरीब की सोचः-

सोचता है एक गरीब,
मैं कैसे अमीर बन पाउँगा।

इन गरीबों के दिनों को,
मैं कैसे भगाउँगा।।

कट जाता है समय,
दो शाम की रोटी जुटाने में।

फिर भी भरता नहीं पेट,
इस महगाई भरे जमाने में।।

रोते हैं बीबी और बच्चे,
जब मैं शाम को घर जाता हूँ।

कोशते हैं इस गरीबी को,
फिर भी मैं इसे नहीं भगा पाता हूँ।।

सोचता है एक गरीब,
मै कैसे अमीर बन पाउँगा।

इन गरीबों के दिनों को,
मैं कैसे भगाउँगा।।

Added by Deepak Kumar on September 24, 2010 at 11:19am — 1 Comment

ऐ माँ.....

ऐ माँ मत मार मुझे,

मैं दुनियां में आना चाहती हूँ।



ऐ माँ मैं इस संसार में जन्म लेकर,

जीवन चक्र बढ़ाना चाहती हूँ।।



ऐ माँ मैं बड़ी होकर,

डॉक्टर, इन्जीनियर बनना चाहती हूँ।



ऐ माँ मैं किसी से शादी कर-कर,

उसका वंश बढ़ाना चाहती हूँ।।



ऐ माँ मत समझ बोझ मुझे,

मैं तेरा भी बोझ उठाउँगी।



ऐ माँ मैं तेरे बुढ़ापे को,

बेटे से ज्यादा सवारूँगी।।



ऐ माँ तुमने ये कैसे सोच लिया,

तुम भी तो किसी की बेटी हो।



ऐ माँ… Continue

Added by Deepak Kumar on September 24, 2010 at 11:00am — 1 Comment

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service