For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Hilal Badayuni's Blog (37)

शोहरत


जब तलक मंसूब दिल से दिल न हो ,

दिल को तब तक हिचकियाँ मिलती नहीं .

इश्क करने से मिलेंगी शोहरतें ,

मुफ्त में बदनामियाँ मिलती नहीं .

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 4:00pm — No Comments

हाल

उससे बिछड़ के ऐसे मेरा दिल उदास है ,
जैसे बिछड़ के मौज से साहिल उदास है .
मै कर रहा हु इसलिए हसने की कोशिशे ,
मुझको उदास देख के महफ़िल उदास है .

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 4:00pm — No Comments

एहसास


रब्त -ऐ - नाज़ुक की शुरुआत भी हो सकती है ,
लब हिलेंगे नहीं और बात भी हो सकती है .
हमसे मिलने का कभी दिल में न तुम ग़म करना ,
बंद आँखों में मुलाक़ात भी हो सकती है .

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 4:00pm — No Comments

अपना घर

परदेस में रहने की ख़ुशी और अलम और ,
याद आये अगर घर की तो होता है सितम और .
परदेस से खींचे है कशिश घर की कुछ ऐसे ,
जाना हो अगर घर पे तो बढ़ते है क़दम और .

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 4:00pm — No Comments

तेरी रुसवाई भी तो हो ...........

फ़क़त मै क्यों रहू रुसवा तेरी रुसवाई भी तो हो ,

सितमगर तेरी महफिल में शब् -ऐ -तन्हाई भी तो हो .



तुझे पाने की ख्वाहिश में जो रख दे जान भी गिरवी ,

ज़माने में मेरे जैसा कोई सौदाई भी तो हो .



मै तुमको बेवफा कहता हु तो इसमें बुरा क्या है ,

ये माना कि तुम अपने हो मगर हरजाई भी तो हो .



वफ़ा के खुश्क दरिया में मै कैसे डूब सकता हो ,

तेरे दरिया -ऐ -उल्फत में कोई गहराई भी तो हो .



शब् -ऐ -फुरक़त क हर लम्हा सितारे गिन के काटा है ,

बिछड़ के… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — 1 Comment

सुराग


शब् भर हमारी याद में ऐसे जगे हो तुम ,

आराम तर्क कर के टहलते रहे हो तुम ..

बिस्तर की सिलवटो से महसूस हो गया

कुछ देर पहले उठ के यहाँ से गए हो तुम

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — No Comments

आँख और आंसू



ये बोला आँख से आंसू के माँ ये क्या किया तुने

हमारी कौन सी ग़लती का ये बदला लिया तुने

कभी औलाद को अपनी जुदा माँ तो नहीं करती

फिर अपने लाल को क्यों घर से बेघर कर दिया तुने







ये बोली आँख आंसू से जुदा बस यु किया तुझको

बुलंदी पर पहुचने का दिया है रास्ता तुझको

अगर तू साथ रहता तो तेरी क्या अहमियत होती

ज़मी पे गिर के ही तो मर्तबा आला मिला… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — No Comments

नाराज़ महबूबा



तुम्ही मेरी ज़रूरत हो तुम्ही पहली मुहब्बत हो

क़सम कोई भी ले लो तुम बहुत ही ख़ूबसूरत हो



तुम्हारे ध्यान से क़ल्ब -ओ -जिगर में रौशनी आये

तुम्हारी मुस्कराहट ही मेरे लब पर हंसी लाये



जो तुम मेरी तरफ देखो मेरे दिल को सुकू आये

ज़रा हंसकर कभी बोलो मेरे दिल पर ख़ुशी छाए



न हो तुम ग़मज़दा की मेरा दिल मचलता है

तुम्हारे एक इक आंसू से मेरा दिल पिघलता है



मुहब्बत का वाफाओ का मेरी कुछ तो सिला दे… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — No Comments

तू समझता है बदौलत तेरी है .............

तू समझता है बदौलत तेरी है
मेरे दम से ही ये इज्ज़त तेरी है

यु उजड़ता कब है कोई गुलसितां
लगता है इसमें शरारत तेरी है

तू अमीर -ऐ -शहर था मग़रूर था
हाथ फैला अब ज़रूरत तेरी है

चाहतें किस किस की है दिल में तेरे
मेरे दिल में सिर्फ चाहत तेरी है

इसलिए महफूज़ रखता हु इसे
ज़िन्दगी मेरी अमानत तेरी है

शेर महफ़िल में सुनाता है 'हिलाल '
या खुदा इस पे ये रहमत तेरी है

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — No Comments

ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो गयी ......

बात उनसे कभी हो गयी

ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो गयी



दिल्लगी आशिकी हो गयी

आशिकी बंदगी हो गयी



वो तसव्वुर में क्या आ गए

क़ल्ब में रौशनी हो गयी



जब कभी उनसे नज़रें मिली

अपनी तो मैकशी हो गयी



बात फिर से जो होनी न थी

बात फिर से वो ही हो गयी



जब कभी वो खफा हो गए

ख़त्म सारी ख़ुशी हो गयी



बादलो क जब आंसू गिरे

कुल जहाँ में नमी हो गयी



सैकड़ो घोंसले गिर गए

क्यों हवा सरफिरी हो गयी



ध्यान उनका… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — 5 Comments

मुक़दमा -उस्ताद की कलम से



बिस्मिल्लाह हिर्रहिमा निर्रहीम



हिलाल वजीरगंजवी (बदायूं )



हिलाल अहमद 'हिलाल ' मेरे सभी शागिर्दों में एक मुनफ़रिद मकाम के हामिल है . हिलाल , आले अहमद 'ज़ौक मुहम्मदी के फरजंद और हाफिज़ अबरार अहमद 'जाहिद मुहम्मदी के भतीजे है उन के दादा मरहूम मौलवी मुहम्मद बक्श साहब बस्ती के मशहूर पाकबाज़ शक्सीयत थे .



ज़ौक मुहम्मदी , जाहिद मुहम्मदी ने भी मुझसे शरफ तलाम्मुज़ हासिल किया और फख्र की बात ये है के मेरा और हिलाल का घराना एक… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — No Comments

हुस्न



तेरे हुस्न -ओ -नजाकत का बदल मै लिख नहीं सकता - कि तेरी शान में कोई ग़ज़ल मै लिख नहीं सकता



तबस्सुम और तेरे गुफ्तार के बारे में क्या लिक्खूं

तेरे सुर्खी भरे रुखसार के बारे मै क्या लिक्खू

तेरी सीरत तेरे किरदार के बारे मै क्या लिक्खू



तेरी पाजेब क़ी झंकार के बारे में क्या लिक्खू - के तेरी शान मै कोई ग़ज़ल मै लिख नहीं सकता



तेरे लहराते आँचल को मै अब तशबीह किस से दूँ

तेरी आँखों के काजल को मै अब तशबीह किस… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — 2 Comments

आशियाँ मेरा रखा है जब शरारों के करीब ................



आशियाँ मेरा रखा है जब शरारों के करीब

कौन दिल बहलाए फिर जाकर बहारों के करीब



कल मेरी कश्ती डुबोने में उन्ही का हाथ था

आज जो अफ़सोस करते है किनारों के करीब



ज़लज़ले में कितने बच्चे हो गए है कल यतीम

देख लो जाकर ज़रा उन बेसहारों के करीब



मेरे घर की मुफलिसी ज़ाहिर न हो दीवार से

इश्तहारों को लगाया है दरारों के करीब



क़त्ल केर दो मुझको लेकिन एक ख्वाहिश है मेरी

दफन करना मुझको मेरे… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:00pm — No Comments

तसव्वुफ़


क्यों कहू खुद से मै जुदा तुमको

जब के अपना बना चुका तुमको

तुम तसव्वुर में आ गए फ़ौरन

जब भी चाहा के देखता तुमको

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:00pm — No Comments

लगता है उसके पास कोई आईना नही

अपनी बुराइयाँ जो कभी देखता नही

लगता है उसके पास कोई आईना नही



गुलशन मे रहके फूल से जो आशना नही

उसका तो खुश्बुओ से कोई वास्ता नही



हम सा वफ़ा परस्त वतन को मिला नही

लेकिन हमारा नाम किसी से सिवा नही



मैं उससे कर रहा हू वफाओं की आरज़ू

जिस शक्स का वफ़ा से कोई राबता नही



तुम मिल गये तो मिल गयी दुनिया की हर खुशी

पास आने से तुम्हारे मेरे पास क्या नही



उनका ख्याल आया तो अशआर हो गये

अशआर कहने के लिए मैं सोचता… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 2:30pm — 2 Comments

What is the difference between Maa and other relations?


मेहनत के बावजूद जो पंहुचा मै अपने घर ,

वालिद का ये सवाल कमाया है तुने कुछ .

बीवी को और बच्चों को फरमाइशों की लत ,

बस माँ को ये ख्याल के खाया है तुने कुछ .

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 2:30pm — No Comments

पहली मुलाक़ात

क़ल्ब ने पाई है राहत आप से मिलने के बाद,

हो गयी ज़ाहिर मोहब्बत आप से मिलने के बाद,

ये इनायत है नवाज़िश है करम है आपका,

बढ़ गयी है मेरी इज़्ज़त आप से मिलने के बाद,

Added by Hilal Badayuni on September 18, 2010 at 2:30pm — 1 Comment

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service