एक रात अचानक पुलिस वाले उसे उग्रवादी बता कर घर से उठा कर ले गए. क्या क्या ज़ुल्म नहीं किये गए थे उस पर. वह चीख चीख कर खुद को बेनुगाह बताता रहा लेकिन सब कुछ सुनते हुए भी सरकारी जल्लाद बहरे बने रहे. यातनाएं सहते सहते तक़रीबन छह महीने बीत गए थे. तभी एक दिन सरकार ने अपनी नई नीति के अनुसार उसे रिहा कर दिया ताकि वह भी राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल हो सके. उसके वापिस लौटने से घर में ख़ुशी का वातावरण था, लेकिन वह जड़वत बैठा न जाने कहाँ खोया रहता. वृद्ध पिता ने एक दिन उसके कंधे पर हाथ रखकर…
ContinueAdded by योगराज प्रभाकर on December 18, 2013 at 3:00pm — 38 Comments
"क्या? आपने धूम्रपान छोड़ दिया? ये तो आपने कमाल ही कर दिया।"
"आखिर इतनी पुरानी आदत को एकदम से छोड़ देना कोई मामूली बात तो नहीं।"
"सही कहा आपने, ये तो कभी सिगरेट बुझने ही नही देते थे।"
"जो भी है, इनकी दृढ इच्छा शक्ति की दाद देनी होगी।"
"इस आदत को छुड़वाने का श्रेय आखिर किस को जाता है?"
"भाभी को?"
"गुरु जी को?"
"नहीं, मेरी रिटायरमेंट को।"उसने ठंडी सांस लेते हुए उत्तर दिया।
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(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by योगराज प्रभाकर on December 2, 2013 at 4:00pm — 63 Comments
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