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डॉ. सूर्या बाली "सूरज"'s Blog – November 2013 Archive (3)

सूरज सफ़र में है तेरी यादों के साथ साथ

बेघर हुए हैं ख़्वाब धमाकों के साथ साथ।

वहशत भी ज़िंदा रहती है साँसों के साथ साथ॥

 

जब रौशनी से दूर हूँ कैसी शिकायतें,

अब उम्र कट रही है अँधेरों के साथ साथ॥

 

दरिया को कैसे पार करेगा वो एक शख़्स,

जिसने सफ़र किया है किनारों के साथ साथ॥

 

वीरान शहर हो गया जब से गया है तू,

हालांकि रह रहा हूँ हजारों के साथ साथ॥

 

पत्ता शजर से टूट के दरिया पे जो गिरा,

आवारा वो भी हो गया मौजों के साथ…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 24, 2013 at 3:30pm — 11 Comments

यादों के साथ साथ तेरी चल रहा हूँ मैं

फ़ुर्कत की आग दिल में लिए जल रहा हूँ मैं।

यादों के साथ साथ तेरी चल रहा हूँ मैं॥

 

आ जा अभी भी वक़्त है तू मिल ले एक बार,

इक बर्फ़ की डली की तरह गल रहा हूँ मैं॥

 

संजीदा कब हुआ है मुहब्बत में तू मेरी,

हरदम तेरी नज़र में तो पागल रहा हूँ मैं॥

 

तू तो भुला के मुझको बहुत दूर हो गया,

तन्हाइयों के बीच मगर पल रहा हूँ मैं॥

 

रोने से तेरे मिटता है हर पल मेरा वजूद,

क्यूंकी तुम्हारी आँख का काजल रहा हूँ…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 18, 2013 at 11:30pm — 12 Comments

आशियाने दिल में आख़िर आजकल ठहरा है कौन

आशियाने दिल में आख़िर आजकल ठहरा है कौन।

रात दिन मेरे ख़यालो-ख़्वाब में रहता है कौन॥

 

किसके आने से हुई गुलज़ार दिल की वादियाँ,

हर तरफ मंज़र बहारों का लिए बैठा है कौन॥

 

चेहरे पे चेहरा लगाए फिर रहा है आदमी,

है बहुत मुश्किल बताना सच्चा है झूठा है कौन॥

 

कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,

सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥

 

है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,

वरना वीराने चमन…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 8, 2013 at 8:00am — 16 Comments

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