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Akhand Gahmari's Blog – October 2015 Archive (2)

खडी परधानी में भऊजी

1222   1222    1222   1222



निशानी हार फूलो पे मुहर तुम सब लगा देना

खड़ा परधानी मेें देखो भऊजी को जिता देना





सुबह अब चार से पहले भऊजी रोज जागेगी

गली में हाथ जोडे़ मुस्‍कुरा कर वोट माँगेगी

बहुत खुश हैं न दॉंतो से जो पाते तोड़ अब रहिला

पता जब से चला उनको हुआ ये गॉंव है महिला

कहे बूढे़ सभी मुझसे, जरा उनसे मिला देना

निशानी हार फूलो पे मुहर तुम सब लगा देना

खड़ा परधानी मेें देखो भऊजी को जिता देना



रसोई में न काटे अब सुनो…

Continue

Added by Akhand Gahmari on October 17, 2015 at 10:00am — No Comments

इस दिल का

हुआ है प्‍यार में पागल सुनो अंन्‍जाम इस दिल का

न तेरी बात माना मैं लगा इल्‍जाम इस दिल का

.

अँधेरा दूर हो करना जला, लो दिल सनम मेरा

न है जब जिन्‍दगी में तू न है क्‍या काम इस दिल का

.

रही जब पास तुम मेरे बडा अनमोल था ये दिल

न अब कोई मुझे पूछे न है कुछ दाम इस दिल का

.

तुम्‍हारा प्‍यार था जब तो बुलाते थे सभी दिलवर

सुना मैने पड़ा अब दिलजला हैै नाम इस दिल का

.

खता कोई न है इसकी, मगर बदनाम तो है ये

न करता है वफा…

Continue

Added by Akhand Gahmari on October 2, 2015 at 8:00pm — 3 Comments

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