वक़्तका तकाज़ा है आज आई है शाबान-ऐ-हिज्राँ सिरहानेसे
वैसे दम-ब-दम को नहीं फुर्सत दर-ब-दर मुझे आज़मानेसे
कितने माजूर-ओ-बेखुद बने बद-चलन पैमाने झलकानेसे
सफा -ऐ -कल्ब क्या बनोगे इंसा सरसार दर्यामे नहाने से
उम्र -ऐ -खिज्र में गर फिर लिखे दास्तान -ऐ -शौक कोई
किस तर्ज़ -ऐ -तपाक मिले तोड़कर मसाफात अनजाने से
सर -गर्म -ऐ -जफ़ा किसको महोलत दी है यहाँ बेदिलीने
तक़दीर कैसे निगाह -बान रहे नज़र -ऐ -बाद बचाने से
फरते -मिहानपे …
ContinueAdded by Zid on October 31, 2013 at 6:20pm — 6 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |