आज १५ अगस्त... कई दिनों से प्रतीक्षा रही इस दिन की ... डा० रामदरश मिश्र जी का जन्म दिवस जो है । आज उनसे बात हुई तो उनकी आवाज़ में वही मिठास जो गत ५६ वर्ष से कानों में गूँजती रही है। उनका सदैव स्नेह से पूछना , “भारत कब आ रहे हैं ? ” ... सच, यह मुझको भारत आने के लिए और उतावला कर देता है .. और मन में यह भी आता है कि आऊँगा तो प्रिय सरस्वती भाभी जी के हाथ का बना आम का अचार भी खाऊँगा ... बहुत ही अच्छा अचार बनाती हैं वह ।
कैसे कह दूँ उनके स्नेह से मुझको स्नेह नहीं है, जब उनकी मीठी…
ContinueAdded by vijay nikore on August 19, 2018 at 6:19am — 4 Comments
खुदापरस्ती ... (अतुकांत)
मुअम्मे कुछ ऐसे जो हम जीते रहे
पर ज़िन्दगी भर हमसे बयां न हुए
कैसी है तिलिस्मी मुसर्रत की तलाश
मशगूल रखती रही है शब-ओ-रोज़
हसरतें भी देती हैं छलावा…
ContinueAdded by vijay nikore on August 13, 2018 at 9:08pm — 8 Comments
छटपटाहट
समझ नहीं पाता हूँ
उदासी से भरी गुमसुम निस्तब्धता
अनदीखे अन्धेरे में वेदना का
चारों ओर सूक्षम समतल प्रवाह
पास हो तुम, पर पास होकर भी
इतनी अलग-सी, व …
ContinueAdded by vijay nikore on August 5, 2018 at 8:00pm — 14 Comments
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