For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

August 2010 Blog Posts (125)

भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,

भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,

सोहराबुदीन कौन था जिसको दिए सब मिटाए ,

कोई कहता था आतंकबादी था वो बड़ा हठीला ,

किया क्यों उसके कारण मुश्किल किसी का जीना ,

मर गया तो मिट गई बाते क्यों उल्टी हवा बहाए ,

भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,

जो ऐसा काम किया क्यों उसे सूली पे चढाते हो ,

अफजल गुरु को जो बचाए उसको सलाम बजाते हो ,

जागो हिंद के जागो भाई करो उसको सलाम ,

जो इस तरफ के कालिख पोतो के काम करे तमाम ,

सिद्ध हुआ था आतंकबादी मारे तो तगमा… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on August 2, 2010 at 2:00pm — 2 Comments

गीत... प्रतिभा खुद में वन्दनीय है... संजीव 'सलिल'

गीत...



प्रतिभा खुद में वन्दनीय है...

संजीव 'सलिल'

**



प्रतिभा खुद में वन्दनीय है...

*

प्रतिभा मेघा दीप्ति उजाला

शुभ या अशुभ नहीं होता है.

वैसा फल पाता है साधक-

जैसा बीज रहा बोता है.



शिव को भजते राम और

रावण दोनों पर भाव भिन्न है.

एक शिविर में नव जीवन है

दूजे का अस्तित्व छिन्न है.



शिवता हो या भाव-भक्ति हो

सबको अब तक प्रार्थनीय है.

प्रतिभा खुद में वन्दनीय है.....

*

अन्न एक ही खाकर… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 2, 2010 at 10:45am — 3 Comments

आचार्य संजीव 'सलिल तथा डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री : श्रेष्ठ गीतकार अलंकरण से सम्मानित

सितारों की महफ़िल में आज डा. रूप चन्द्र शास्त्री मयंक और आचार्य संजीव वर्मा सलिल

लखनऊ, गुरुवार, २९ जुलाई २०१०

ब्लोगोत्सव-२०१० को आयामित करने हेतु किये गए कार्यों में जिनका अवदान सर्वोपरि है वे हैं डा. रूप चन्द्र शास्त्री मयंक और आचार्य संजीव वर्मा सलिल जिन्होनें उत्सव गीत रचकर ब्लोगोत्सव में प्राण फूंकने का महत्वपूर्ण कार्य किया. ब्लोगोत्सव की टीम ने उनके इस अवदान के लिए संयुक्त रूप से उन दोनों सुमधुर गीतकार को वर्ष के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 2, 2010 at 10:41am — 2 Comments

किसी को मत अपना मान परिंदे

किसी को मत अपना मान परिंदे
ये दुनिया बड़ी बेईमान परिंदे
मंदिर-मस्जिद ढूंढ़ रहा किसको
हर गली बिकता भगवान परिंदे
मोह का झूठा बंधन दुनियादारी
मत उलझा इसमें जान परिंदे
सांसों के पंख नहीं वश में अपने
ज़िस्मानी पंख झूठी शान परिंदे
मन की तिजोरी जब तक खाली
दौलत पर कैसा अभिमान परिंदे
जितना ऊपर उड़ता जीवन पंछी
खुलता सच का आसमान परिंदे
दुनिया में जो जीना चाहे सुख से
बंद रख आँखें और कान परिंदे
मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से

Added by asha pandey ojha on August 2, 2010 at 10:15am — 8 Comments

दोस्तों के दिल में रहते हैं

हवाओ से कह दो अपनी औकात में रहे

हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।

फिज़ाओं से कह दो अपनी हदों में रहे

हम बहारो से नहीं घटाओ से बनते है।

फूलो से कह दो कही और खिले

हम पंखुड़ी से नहीं काँटों में रहते हैं।

दुश्मनों से कह दो कही और बसे

हम कही और नहीं दोस्तों के दिल में रहते हैं।

Added by praveena joshi on August 1, 2010 at 4:02pm — 9 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service