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केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog – July 2014 Archive (3)

गजल- रंग पानी सा....

गजल- रंग पानी सा....

बह्र - 2122, 2122, 2122



नारि ही जब शक्ति की दुर्गा-सती है।

आज कल हालात की मारी हुयी है।।



काल बन भस्मासुरों को भस्म कर दें,

निर्भया बन वह सड़क पर लुट रही है।



विष्णु-शिव-ब्रह्मा हुआ है आदमी अब,

सृ-िष्ट - नारी की कहानी त्रासदी है।



नित गरीबी आग में पकती रही पर,

भूख, बच्चों की पढायी सालती है।



रक्त नर का पी कपाली बन लड़ी जो,

खून में लथपथ शिवानी सो रही है।…



Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 28, 2014 at 9:00pm — 9 Comments

हो क़लम हथियार पावन......ग़ज़ल

हो क़लम हथियार पावन......ग़ज़ल



शारदे माँ अर्ज इतनी ज्ञान सबको दीजिए.

भाव से भरपूर जीवन दान सबको दीजिए.



शब्द के उपहार अनुपम स्वर सरस अनुराग हो,

कोकिला की तान सरगम शान सबको दीजिए.



द्वेष का उद्गार निश की भाँति मन से नष्ट हो,

प्यार का, सत्कार का दिनमान सबको दीजिए.



दुःख में संवेदनायें आदमी का धर्म हो,

हों दलित-मज़लूम भी सम्मान सबको दीजिए.



भूख से बच्चे बिलखते बेसहारा नग्न भी,

अन्न, कपड़े, घर सहित उपमान सबको… Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 10, 2014 at 8:34pm — 10 Comments

पीपल का वृक्ष

गीतिका छन्द......पीपल का वृक्ष



सत्य संकल्पों सहित इक बीज बोया था कभी।

ब्रह्म का अवतार हितकर पूजते पीपल सभी।।

चंचला हैं पत्र निश्छल शक्ति शाखा भॉंपते।

छॉंव शीतल भाव भर कर शांति-सुख नित बॉंटते।।1



देव का उपकार पीपल दु:ख दारूण काटता।

सूर्य-शनि से मुक्त करके दीप लौ को साधता।।

वासना दूषित मन: को सत्य का परिणाम दे।

भूत-प्रेतों को शरण रख मुक्ति आठो याम दे।।2



कामना फलती सदा यदि साधना सत्कार हो।

धैर्य-साहस-चेतना गुण शोध का आधार…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2014 at 8:30pm — 14 Comments

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