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लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog – June 2013 Archive (3)

तीन मुक्तक - लक्ष्मण लडीवाला

मुक्तक 
एकाकीपन सांझ का, चंचल मन भटकाय
इस पड़ाव पर उम्र के,बनता कौन सहाय 
सुन्दर हर पल वह घडी,अनुपम सा उपहार 

साँस साँस की हर लड़ी,मुग्ध मुझे करजाय |


(2)
 
बिगड़ न जावे और ये, जीवन के हालात 

वर्षा जल भूजल करे, तभी बनेगी बात |

हरियाली वसुधा रहे, नदियों में जलधार,

पनघट…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 30, 2013 at 12:30pm — 15 Comments

कुंडलिया छंद

सत्ता मद में चाहिए, येन केन बस वोट,

गधे तो कहे बांप तो,उसमे क्या है खोट |                                                                                                                                                              

उसमे क्या है खोट, जो नित भार ही ढोता

सत्ता का वह मीत, बोलता  जैसे  तोता    

जीत पर बदल आँख,बता जनता को धत्ता,

नेता की क्या साख, मिले कैसें भी सत्ता |

(२)

गंगा जल में छुप गये,झट से भोले नाथ,

केदारनाथ धाम में,…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 25, 2013 at 4:00pm — 19 Comments

इनसे नाता जोड़



परिचय करते वक्त ही,  पहले पूछे नाम

परिचय सुद्रड़ हो तभी, करे बात की काम॥ 



परिचय देवे पेड़ का, बच्चे को बतलाय,

इनके क्या क्या नाम है,अच्छे से समझाय 

 

कन्द मूल खाकर रहे, वन में सीता राम,

चौदह वर्षों तक किया,…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 5, 2013 at 4:30pm — 15 Comments

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