For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr.Ajay Khare's Blog – January 2013 Archive (3)

बधू चाहिए,

बधू चाहिए, बधू चाहिए

अपने लल्ला के लिए एक बधू चाहिए

सुंदर सुशील पढ़ी लिखी गृह कार्य में दक्ष

सीता गीता रीता या मधु चाहिए

दहेज़ चाहिए न दान चाहिए

आपका प्यार व सम्मान चाहिए

लल्ला हमारा है गुणों की खान

देखने में लगता है सलमान खान

बी ई की पढ़ाई करी है 

हमने लाखों में फीस भरी है 

अच्छे पैकेज का वो कर रहा वेट

शादी में…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on January 30, 2013 at 11:00pm — 8 Comments

बिछोह

बिछोह

कभीसोचा न था जो हुआ

कल्पना से परे

ये तुमने किया

यकीन नहीं

होगा भी क्यों

तुम ही तो थी मेरा बिश्वास

दिल के सबसे पास

सांसो में वास

सिर्फ तुम्हारा अहसास

बक्त जो गुजारा हमने

देखे थे सपने

सव नेस्तनाबूद

ख़त्म मेरा बजूद

कहा था तुमने में तुम बनेगें हम

किन्तु सब ख़तम

जरुर छीड़ पड़ी तुम्हारी स्मरण शक्ति

मेरा प्यार भक्ति

तुम वेबफा हो जानता नहीं

 तुमने छल किया…

Continue

Added by Dr.Ajay Khare on January 21, 2013 at 5:45pm — 6 Comments

हाथ मिलाते रहिये

दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते रहिये,

प्यार की रस्म को आगे बढ़ाते रहिये |



अंधेरों मे ही ना गुजर जाय जीवन का सफ़र,

प्यार की शमा को दिल मे जलाते रहिये |



रहता यूँ चमन मे बिजलियों के गिरने का डर,

चाहत के फूलों को दिल मे खिलाते रहिये |



रोने गाने मे हो ना जाएँ सारी उमर तमाम,

उलफत के जाम को खुद पीकर पिलाते रहिये |



चले है जब तो मिल ही जाएगी मंज़िल हमको

अलबिदा कहते हुए हाथ हिलाते रहिये |

  • Dr.Ajay Khare…
Continue

Added by Dr.Ajay Khare on January 10, 2013 at 2:30pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service