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उंगलियाँ हम पे यूँ न उठाया करो

उंगलियाँ हम पे यूँ न उठाया करो





हर बार लिया मजा तुमने, हम भी चखे,

इंतज़ार हमें भी कभी तो कराया करो |



दौलते दिल है ये, इन्हें यूँ न बहाओ,


अंखियों से मोती यूँ न छलकाया करो |



हमने जब भी किया शिकवा,सुना तुमने,


शिकायतों का दौर,खुद भी लगाया करो |



फ़िक्र रहती है तुम्हारी,इस दिल को सदा,

नज़रों से दूर यूँ तुम न जाया करो…

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Posted on August 30, 2012 at 9:30am — 2 Comments

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Jaipur
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