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Prem Chand Gupta
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"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई सजा क्या है। कितनी बीमार लग रही है नदी।"या इलाही ये माजरा क्या है"। धूप ने सोख ली नमी सारी।छोड़ कर जख्म के हरा क्या है। उम्र भर रोटियों को पूजा…"
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"हार्दिक आभार, कल्पना जी। "
May 14, 2023
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"पहला प्यार एक गौरेया आई थी चुपके से छत की मुँडेर पर और अनजाने ही छोड़ गई एक नन्हा सा बीज बरगद का। बादल आये , कुछ दिनों बाद सरस श्यामल बादल भिंगो गए मेरे छत की उस मुँडेर को। मैंने देखा एक प्यारा सा पौधा उग आया था ठीक वहीं जहाँ बैठी थी गौरेया। एक…"
May 13, 2023

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Bhopal
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Ballia
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Retired
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Dedicating time for Hindi literature.

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