For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Aditya lok
  • 29, Male
  • bihar
  • India
Share on Facebook MySpace

Aditya lok's Friends

  • anwar suhail
 

Aditya lok's Page

Latest Activity

Samar kabeer commented on Aditya lok's blog post अच्छा होता...
"जनाब आदित्य जी आदाब, अगर ये ग़ज़ल है तो अभी समय चाहती है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
Feb 13, 2021
Aditya lok posted a blog post

अच्छा होता...

कुछ रोज ठहर जाते तो अच्छा होता,हमें छोड़ जाने से मुकर जाते तो अच्छा होता,यूं तो कई लोग तन्हा सफर करते हैं लेकिन,इस सफर में तुम भी साथ आते तो अच्छा होता...वैसे तो तेरे दुपट्टे के सिरहाने पर भी नींद अच्छी आती है,पर तेरी गोद में सर रखकर सोते तो अच्छा होता,गुज़ार तो सकते ही है तेरे इंतजार में ये जिंदगी,मगर वक्त रहते तुम मिल जाते तो अच्छा होता...हम तो कहने को थे कि तुम हीं हो हमारी आखिरी मंज़िल,लेकिन तुम भी यकीन करते तो अच्छा होता,यूं तो कई लोग तन्हा सफर करते हैं लेकिन,इस सफर में तुम भी साथ आते तो…See More
Feb 12, 2021
Aditya lok updated their profile
Feb 12, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
Bihar
Native Place
Bettiah
Profession
Journalist
About me
My name is Aditya Lok Pathak aka Xenohadi (pen name). Journalist by profession, writer by heart. Graduate in mass communications. Currently working on my own PR start-up in my hometown Bettiah, Bihar.

Aditya lok's Blog

अच्छा होता...

कुछ रोज ठहर जाते तो अच्छा होता,

हमें छोड़ जाने से मुकर जाते तो अच्छा होता,

यूं तो कई लोग तन्हा सफर करते हैं लेकिन,

इस सफर में तुम भी साथ आते तो अच्छा होता...

वैसे तो तेरे दुपट्टे के सिरहाने पर भी नींद अच्छी आती है,

पर तेरी गोद में सर रखकर सोते तो अच्छा होता,

गुज़ार तो सकते ही है तेरे इंतजार में ये जिंदगी,

मगर वक्त रहते तुम मिल जाते तो अच्छा होता...

हम तो कहने को थे कि तुम हीं हो हमारी आखिरी मंज़िल,

लेकिन तुम भी…

Continue

Posted on February 12, 2021 at 10:02am — 1 Comment

वो सवाल...

क्या जवाब दूँ तुम्हे मैं...ये जो सवाल है तुम्हारा...

हर रोज्र हारता हूँ...यहीं तो हाल है हमारा...

 

ये ख्वाब हीं बुरे हैं...

या फिर बुरा सा मैं हूँ...

सौ बार सोचता हुँ...

कुछ तो भला सा कह दूँ..

 

हर वक़्त एक सपना...

हाफीज्र सदा है मेरे...

कुछ पास है हमारे...

कुछ पास में है तेरे...

 

मै वक़्त का मुसाफिर...

अब वक़्त ढुँढता…

Continue

Posted on January 16, 2017 at 10:30pm — 4 Comments

तुम...

हर रोज कहानी तेरी...

हर रोज तेरा अफसाना...

हम गूंथ रहे ख्वाबों में...

इस दिल का ताना बाना...

बस एक वो तेरी …

Continue

Posted on January 16, 2017 at 12:30pm — 3 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Monday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Monday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sunday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Saturday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service