For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्रीमती राजकुमारी नायक का काव्य संग्रह शफ़क  जब हमारी लेखिका संघ की अध्यक्षा आ. अनिता सक्सेना जी ने मुझे सौंपा तो यह मेरे लिए एक नई चुनौती लेकर आया. रुबरु राजकुमारी जी से मेरा कोई परिचय नहीं है, लेकिन जैसे जैसे कविता दर कविता शफ़क से गुजरती गई उनसे मेरे बंध जुड़ते चले गए। उनके अंतर्मन से उठते शब्दों ने जब विस्तार पाकर कविता का रूप लिया तो मानो रस धार बह निकली           
गणेश व सरस्वती वंदना से शुरुआत करते शब्द उनके संस्कार के परिचायक है
। कन्या भ्रूण हत्या
से आहत हो अपने शब्दों को अजन्मी बेटी से कहलाती कविता " मेरी राजकुमारी" ने तो मानो मन को झंकृत कर दिया. "एक बार पुकार लेना" में विरह वेदना की कसक है
। " बंध जाओगे कविता में " बगरी" देशज  शब्द का प्रयोग अच्छा लग रहा  जिसका अर्थ" बिखरी" को मैं तो जानती हूँ किंतु जब यह पुस्तक प्रदेश की सीम तोड़कर  बाहर कदम रखेंगी तब शायद इसका अर्थ निकलना आसान न होगा ऐसे वक्त कोष्ठक मे प्रचलित शब्द लिख दिया जाय तो अच्छा होगा.   
         शब्द भी नही है याद
         पद, छंद कैसे पूरे करु
         वर्ण माला हो गई निश्वास
         प्रिय  के पदों की आँस 
  
प्रेम रस से पगी कविताएं "तुम पठ पर क्या मिले" से  "मेरा आज सजन से मिलाप" तक की सभी कविताएं कोमल प्रेयसी के मनो भावो को शब्दांकित करती रचनाएँ है
नारी के अस्तित्व की चिंता लिए उनकी कविता "अंधी दौड़" युवा पीढ़ी में चिंतन के लिए आग भरने में उतनी सक्षम  नहीं हो पाई है आपकी चिंता वाजिब हैं पर शब्द यदि संस्कारों पर चलने को मजबूर करे तभी हमारी लिखनी कारगर हैं  तभी एक ओर युवा पीढी को ललकारती उनकी रचना उतनी ही श्रेष्ठ हैं        
          "अणु-अणु में प्रकार विस्तार बनू
          घटाओ में तडीत इंकार भरू

"गीत मेरे अधूरे हैं आज" नव-गीत विधा पर लिखने का प्रयास तो अच्छा  किया है, पर वहाँ पूरी गेयता नहीं बन पाई हैं
। मैं भी सहित्य की कोई पुरोधा नहीं हूँ लेकिन पढते या गाते वक्त कहीं-कहीं तुक बंदी  का जान बूझकर मिलान किया गया प्रतीत होता हैं खासकर पहली ५-६ पंक्तियों में। इस पर यदी फिर से काम किया जाए तो  एक सुंदर गीत सृजित हो सकता हैं नारी संवेदना में वे दृढ संकल्पित  दिखाई देती हैं कि "सौगंध लू तो विजय ही करूँ" से लेकर " नारी हूँ नारायणी नहीं" तक उनके विचार दृढता से स्त्रीवाद का समर्थन करते हुए आगे बढते  हैं"चीर हरण ना होने देना" कविता में संवेदनाएँ कुछ कमजोर रह गई हैं वही "संपूर्ण समर्पण में नारी मन उभरकर उतरा हैसाधारणत: आसपास का परिवेश व बच्चे माँ में अपनी पहचान ढूँढते है किंतु एक पिता के मजबूत कंधे का सहारा ना हो तब तक उन्नति का पथ सुगम नहीं हो सकता , यही कहती " आपसे मेरी पहचान बनी" कविता। इसके बाद " सास उतार रही राई नोंन" तक की रचनाएँ पारिवारिक महत्व के इर्द-गिर्द घूमती हैं. परिवार के साथ-साथ धरा, प्रकृति के प्रति उनकी चिंता अगली कई कविताओं मे नजर आई
       
आओ एक पौधा लगाए
       धरा को बांझ होने से बचाए

प्रकृति से गुजरते हुए देश की चिंता भी स्वाभाविक हैं 
। साथ ही धर्मवाद पर भी बात हुई हैं तब उनकी ये पंक्तिया अच्छी लगी          
            मैं राम मंदिर बनवा दूँगी
           तुम मस्जिद की नींव भरवा देना
युवाओं को जागृत करती उनकी कविताएं ठीक है
। उनके विचारों की श्रृंखला "सृजन" पर आकर खत्म होती हैं। यही पर शब्दों की सार्थकता हैं.अधिकतर रचनाएँ अतुकांत की नव-विधा में लिखी गई हैं । उन्होंने भरसक प्रयत्न किया हैं तुकांत साधने का किंतु इस फेर में कई बार रचनाएँ ढिली पडती नजर आईइसका मतलब ये नहीं की वहाँ कविता नहीं हैं।   मन में उठे उद्गार जब दिल से होते हुए दिमाग तक  पहूँचते हैं तब कलम अपना काम खुदबखुद  शुरु करती हैं। बस! यही आकर राजकुमारी जी सहजता से पाठक के मस्तिष्क में प्रवेश कर जाती हैं और तब इस बात के मायने पिछे  छूट जाते है कि संग्रहित कविताएं काव्य शास्त्र की कौनसी  विधा में लिखी गई है। 

   मैं राज कुमारी जी का अभिनंदन करती हूँ कि अपने विचारों को आम जन तक  पहूचाने के लिए उन्होंने कलम थामी। अनेकानेक शुभकामनाओं के साथ उनका यह प्रयास अविरल चलता रहे ऐसी कामना करती हूँ

नयना(आरती)कानिटकर
264 रचना नगर, गोविंदपुरा
भोपाल (म.प्र.) 462023
मोबाईल:-9926907401

Views: 508

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service