For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे 

१२२    १२२     १२२     १२२   

बढी भी तो थी ये उमर धीरे  धीरे

तो फिर क्यूँ न आये हुनर धीरे धीरे

चमत्कार पर तुम भरोसा करो मत

बदलती  है  दुनिया मगर धीरे धीरे

हक़ीक़त पचाना न था इतना आसां

हुआ सब पे सच का असर धीरे धीरे

ज़बाँ की लड़ाई अना  का है क़िस्सा

ये समझोगे तुम भी मगर धीरे धीरे

ग़मे ज़िंदगी ने यूँ ग़फ़लत में  डाला

हुये इल्मो  फन बे असर धीरे  धीरे

जिधर रोशनी की झलक मिल रही है

चलो ना, चलें  हम  उधर धीरे धीरे

मुहब्बत इनायत शिकायत या नफरत

करेंगे  ये सारे   असर   धीरे  धीरे

अँधेरा  किसी  दिन  उजाला  बनेगा

उफ़क पर  दिखेगा सहर  धीरे  धीरे

दुकाने  बजारें  थियेटर  खुले   जब

हुआ  गाँव  मेरा  नगर  धीरे   धीरे

सभी  हड़बड़ी  में  गये गिरते पड़ते

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे

वो अब तेज़ रौ के अलम  ना  उठायें

जो चलते  रहे  उम्र  भर  धीरे  धीरे 
**********************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 108

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 6, 2025 at 5:08pm

आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल कर दी आपका हार्दिक आभार |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2025 at 1:45pm

इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह हूँ~ - 

हक़ीक़त पचाना न था इतना आसां

हुआ सब पे सच का असर धीरे धीरे   ... उस्तादाना 

ज़बाँ की लड़ाई अना  का है क़िस्सा

ये समझोगे तुम भी मगर धीरे धीरे  ........ सिम्पली कमाल 

जिधर रोशनी की झलक मिल रही है

चलो ना, चलें  हम  उधर धीरे धीरे   ...   फलसफा खूबसूरती से जाहिर हुआ है 

मुहब्बत इनायत शिकायत या नफरत

करेंगे  ये सारे   असर   धीरे  धीरे  ......... सही बात 

इशारों को अगर समझो राज को राज रहने दो .. 

बधाइयाँ  बधाइयाँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 29, 2025 at 10:28am

आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 29, 2025 at 10:26am

आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 25, 2025 at 7:03pm

वाह वाह 

आदरणीय, आपकी प्रस्तुति पर पुन: आता हूँ। 

करूँगा मैं चर्चा सबुर आप रक्खें 

पुन: आ रहा हूँ मगर धीरे-धीरे 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 24, 2025 at 9:31pm

आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 18, 2025 at 10:59am

आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2025 at 3:35pm

सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं 

बहुत सुंदर ग़ज़ल 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service