For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक्यावनवाँ आयोजन है.

 

ओबीओ का मंच शास्त्रीय छन्दों के संवर्द्धन और प्रचार-प्रसार के क्रम में महती एवं संयत भूमिका निभाता आ रहा है. शास्त्रीय छन्दों के मूलभूत विधान में बिना अनावश्यक परिवर्तन के रचनाकर्म करना-करवाना तथा इस हेतु सदस्यों को सुप्रेरित करना इस मंच के उद्येश्यों में से एक महत्त्वपूर्ण विन्दु रहा है. किन्तु यह भी उतना ही सही है कि कोई मंच अपने सदस्यों के अनुरूप ही प्रवृति अपनाता है.

ओबीओ का नित नवीन मंच आज ऐसे सदस्यों से आबाद है जो छन्द पर हुए तमाम अभ्यासों और प्रयासों से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं. इन्हें यह भी भान और गुमान नहीं है कि इस आयोजन के क्रम में ऐसा भी दौर आया है जब सदस्य प्रस्तुत हुई छन्द-रचनाओं की प्रतिक्रिया भी उसी छन्द में देने लगे थे !

 

किन्तु, यह भी सही है, कि इस दृश्य-जगत में सतत होता सर्वस्तरीय परिवर्तन ही स्थायी है.

 

यह हमेशा महसूस किया जाता रहा है कि रचनाकार-पाठक आमजन की तरह विधाजन्य आयोजनों में भी नवीनता चाहते हैं. हम इस नवीनता की चाह का सम्मान करते हैं. हिन्दी साहित्य स्वयं भी, विशेष तौर पर पद्य-विभाग, छान्दसिक प्रयास तथा गीत में व्यापी नवीनता को ’नवगीत’ के तौर पर सम्मानित कर मान देता है.

नवगीत छन्दों पर आधारित गीत ही हुआ करते हैं जिनके बिम्ब और इंगित आधुनिक, सर्वसमाही होते हैं तथा भाषा सहज हुआ करती है. इसी क्रम में हमारा सोचना है कि हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा नवगीत प्रयोग दोनों को साथ-साथ मान दें.

 

 

इस बार हम तीन छन्दों को साथ ले रहे हैं – दोहा छन्द, रोला छन्द और कुण्डलिया छन्द.

इन तीनों छन्दों में से किसी एक या दो या सभी छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है. 

इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

 

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो तीनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  17 जुलाई 2015 दिन शुक्रवार से 18 जुलाई 2015 दिन शनिवार तक

 

 

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

 

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]

 

जैसा कि विदित ही है, छन्दों के विधान सम्बन्धी मूलभूत जानकारी इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

दोहा छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

 

रोला छ्न्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

 

कुण्डलिया छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

********************************************************

दोहा छन्द पर आधारित गीत के उदाहरण केलिए यहाँ क्लिक करें.

 
दोहा छन्द आधारित नवगीत के उदाहरण केलिए यहाँ क्लिक करें.

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 जुलाई 2015  से 18 जुलाई 2015 यानि दो दिनों के लिए  रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Views: 13263

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

दोहा छंद पर आधारित गीत

------------------------------

सावन आया झूम के,

झटपट झूला डाल.

 

कोयल मन की कूकती, बैठी अमुआ डार

मेरे मन पर छा गया, बादल सा विस्तार

साँसों को महका रही,

गुम्फित मोंगर माल

 

आज घटा घनघोर है, सूरज जैसे अस्त

आँचल को छोड़े नहीं, सर्द हवा मदमस्त

मौसम में दिल खो गया,

सुख भी हुआ विशाल. 

 

बाबुल का आँगन नहीं, ना तुलसी चौबार

आँगन छूटा, ले गया, सावन की बौछार

अब तो खोया, झूलती,

गोरी का मुख लाल.

 

जीवन जैसे झूलता, सुख दुःख लेकर साथ

इस झूले में झूल ले, मिल जाए रघुनाथ

उनका पाया साथ तो

भवसागर भी ताल.

 

पाँचों के जो मोह में,  झूला बारम्बार

सावन ने सिखला दिया, क्या है पिय का प्यार

देख चमक आकाश की,

छूटा मायाजाल.

 

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

// जीवन जैसे झूलता, सुख दुःख लेकर साथ
इस झूले में झूल ले, मिल जाए रघुनाथ
उनका पाया साथ तो
भवसागर भी ताल // , बहुत बेहतरीन गीत । इस छंदोत्सव के शानदार शुभारंभ के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ।

आदरणीय विनय जी सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 

आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपके दोहा छन्द पर आधारित गीत ने मन मोह लिया. जहाँ अंतर्निहित भावपक्ष इस अभिव्यक्ति को पठनीय बना रहा है, वहीं गीत का शैल्पिक गठन अत्यंत सुदृढ हुआ है.
 
साँसों को महका रही,
गुम्फित मोंगर माल..........  ..................गुम्फित मोंगर के गंध-वह का क्या कहना !

आज घटा घनघोर है, सूरज जैसे अस्त ... .. सूरज भी है व्यस्त. ऐसा हो न ?
आँचल को छोड़े नहीं, सर्द हवा मदमस्त.....  अह्हाह ! बहुत खूब !
मौसम में दिल खो गया,
सुख भी हुआ विशाल. ............................ सुख भी हुआ निहाल !

बाबुल का आँगन नहीं, ना तुलसी चौबार
आँगन छूटा, ले गया, सावन की बौछार....... अत्यंत मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है ! वाह वाह वाह !
अब तो खोया, झूलती,
गोरी का मुख लाल............................... झूलती और गोरी एक साथ हों. मात्रिकता के साथ भाव भी सार्थक रूप से चाहियें.

जीवन जैसे झूलता, सुख दुःख लेकर साथ
इस झूले में झूल ले, मिल जाए रघुनाथ.....  जायें रघुनाथ .. बहुत खूब !
उनका पाया साथ तो
भवसागर भी ताल.................................वाह वाह वाह !

पाँचों के जो मोह में, झूला बारम्बार............ कमाल की पंक्ति हुई है ! इंगितों का अत्यंत उच्च स्वरूप ~
सावन ने सिखला दिया, क्या है पिय का प्यार....... आध्यात्म की छौंक ने पंक्ति को भावमय बना दिया है, भाईजी.
देख चमक आकाश की,
छूटा मायाजाल..................................... बहुत खूब ! इस बिम्ब में अंतर्निहित भावों केलिए विशेष बधाई..

आदरणीय, इस गीत से प्रारम्भ हुआ आयोजन यहीं से उतान पर चला गया. हार्दिक बधाई एवं आत्मीय् शुभकामनाएँ
 

आदरणीय सौरभ सर, रचना पर आपकी सराहना मिल गई लिखना सार्थक हो गया. आपकी विस्तृत और सारगर्भित प्रतिक्रिया पाकर गदगद हो गया. झूम गया हूँ. उत्साह बढ़ाती इस आत्मीय प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन के लिए नमन.

//सूरज भी है व्यस्त./सुख भी हुआ निहाल /झूलती और गोरी एक साथ/जायें रघुनाथ // 

आपके मार्गदर्शन अनुसार सुधार का प्रयास करता हूँ. संकलन के समय संशोधन हेतु निवेदन कर लूँगा.

सादर 

जिसे आपने संशोधन कहा है, आदरणीय मिथिलेशभाई, वस्तुतः वो मेरे सुझाव मात्र हैं. आवश्यक नहीं कि शब्दशः इन्हें स्वीकार ही किया जाये. कुछ और बढ़िया संभव हो सके तो आगे और प्रयास किया जा सकता है.

सुझाव शब्दशः स्वीकारयोग्य है और इससे बेहतर कम से कम अभी नहीं सोच पा रहा हूँ सर इसलिए फिलहाल में तो संशोधन ही है. 

सूरज भी है व्यस्त .... से कथ्य के मर्म का विस्तार होता है.

सुख भी हुआ निहाल.... निसंदेह बढ़िया सुझाव 

जाएँ रघुनाथ .... टंकण त्रुटी सही हुई है. 

पुनः मार्गदर्शन हेतु आभार 

सुझाव को मान्यता मिली तो हम भी अपने कहे से आश्वस्त हुए.

अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद 

आ. मिथिलेश जी सादर,

प्रदत्त विषय पर बहुत ही सारगर्भित दोहागीत पढ़कर मन मुग्ध हो गया आदरणीय 

 

पाँचों के जो मोह में,  झूला बारम्बार

सावन ने सिखला दिया, क्या है पिय का प्यार

देख चमक आकाश की,

छूटा मायाजाल.                      अति सुन्दर ..

इस सुन्दर दोहा गीत से आयोजन का श्री गणेश हुआ अतएव विशेष  बधाई स्वीकार करें आदरणीय 

 

आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी, आप जैसे सशक्त छंद रचनाकार से सराहना पाना मेरे लिए बड़ी बात है. उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 

सुन्दर.. अति सुन्दर गीत प्रस्तुत किया गया आपके द्वारा आदरणीय मिथलेश वामनकर सर. माहौल बना दिया आपने तो.
आज घटा घनघोर है, सूरज जैसे अस्त
आँचल को छोड़े नहीं, सर्द हवा मदमस्त
मौसम में दिल खो गया,
सुख भी हुआ विशाल... व्वाहह!.. हार्दिक बधाई आपको.

आदरणीय सुनील जी सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
7 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
7 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, समयाभाव के चलते निदान न कर सकने का खेद है, लेकिन आदरणीय अमित जी ने बेहतर…"
7 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. ऋचा जी, ग़ज़ल पर आपकी हौसला-अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
7 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. लक्ष्मण जी, आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service