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"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक - 30 (Now Closed)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 30 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.


छंदोत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |

(प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है)

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !

आपको पुनः स्मरण करा दें कि छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर ही आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें.  ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

 नोट :

(1) 20 सितम्बर 2013 तक Reply Box बंद रहेगा,  21 सितम्बर दिन शनिवार से 22 सितम्बर 2013 दिन रविवार यानि दो दिनों के लिए Reply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 30 की आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो रचनाएँ. 

 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी । 

 

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.  

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहा...

 

 

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

 सभी अनुभवी सदस्यों से प्रोत्साहन पाकर प्रसन्न हूँ ....वाकई मै इस मंच से जुड़कर बहुत लाभान्वित हो रही हूँ सभी का बहुत बहुत आभार 

आदरणीया वंदना जी,

यथोचित अभिवादन ! 

 

ओ बी ओ नियमानुसार रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है, अप्रकाशित अर्थात रचना ओ बी ओ पर प्रकाशन से पूर्व किसी भी वेब माध्यम अर्थात ब्लागस्पाट, सोसल नेटवर्क या अन्य किसी वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं हुई हो । 

 

अनुरोध है क़ि यदि यह रचना "मौलिक व अप्रकाशित" श्रेणी में है तो मंच संचालक से अनुरोध कर रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखवा लें । 

 

इस टिप्पणी के माध्यम से अन्य सदस्यों से भी अनुरोध है कि उल्लेखित बातों को संज्ञान में रखें । 

 

सादर । 

 

एडमिन 

2013092207 

आदरणीय administration सादर नमन कृपया मेरी इस रचना के साथ मौलिक एवं अप्रकाशित जोड़ दीजिये  ओ बी ओ पर प्रकाशन से पूर्व यह रचना कहीं भी प्रकाशित नहीं हुई है  

आदरणीया वंदना जी. 

सभी जटिलताएं जीवन की, अनुभव से सुलझाना

कंप्यूटर पर हम ढूंढेंगे, कोई खास पुराना.......वाह वाह प्राचीन और अर्वाचीन का अनोखा संगम...

चलो न दादू झूलों पर हम, ऐसे पेंग बढ़ाएं

सूरज चंदा बाँध पोटली, साध उजाले गायें ....बहुत सुन्दर..वाह वाह..

सादर.

वाह बहुत ही सुन्दर शिल्पबद्ध प्रस्तुति आदरणीया //हार्दिक बधाई  आपको 

बहुत खूब आद० वंदना जी, इस सुन्दर सार छंद पर मेरी हार्दिक बधाई.

वाह वाह आदरणीया बहुत ही सुन्दर छंद रचा है आपने सादर बधाई स्वीकारें

नभ आँगन को छूकर चहकूँ, थामे हाथ तिहारा

नाजुक न्यारा हम दोनों का, रिश्ता दादू प्यारा........वाह! बहुत बढ़िया

सभी जटिलताएं जीवन की, अनुभव से सुलझाना

कंप्यूटर पर हम ढूंढेंगे, कोई खास पुराना................विवेक व् अनुभव पर ही सफलता मिलती है

बहुत सुंदर रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीया वंदना जी

ललित छंद में बहुत अच्छी रचना ,बधाई .

छंद - उल्लाला
संक्षिप्त विधान - चार पदों का सममात्रिक छंद, जिसमें प्रति पद १३ मात्राएँ  होती हैं. पद की ग्यारहवीं मात्रा अनिवार्यतः लघु.
======

जीवन का आधार क्या, उद-बुद क्या, संसार क्या ?
अणु से अणु को सींचना, कारण-कर्म उलीचना ?

उर्ध्व ब्रह्म के गर्भ में, संभव के संदर्भ में -
वृत्ति चराचर व्यापती, काल क्षितिज तक मापती !

संसृति को स्वीकारती, जीवन सहज सँवारती ।
मंत्र-कर्म से शुद्ध कर, सार्थक जिये प्रबुद्ध स्वर ॥

तमस-रजस के योग में, देह-मनस के भोग में -
संस्कारों का मूल है, जन्म तभी अनुकूल है ॥

प्राण पीढ़ियों से लिये, शोणित मर्यादा जिये !
नव का स्वागत सत्य है, शाश्वत शुद्ध अमर्त्य है !!

आज सदा गत नींव में, प्रवहमान संजीव में ।  
प्रकृति लीला लहर चरम, नूतन शिव-सुन्दर परम ॥

नव-अंकुर के हेतुकम, पूर्वज-वंशज सेतु हम ।
परम्परा संचालते, वंश विगत को पालते !

देह सदा साधन, सही, बूझे जो ’जीये’ वही ।
यही सत्य आधार है, जीवन का विस्तार है ॥
************

(मौलिक और अप्रकाशित)

उत्कृष्ट प्रस्तुति 

आभार आदरणीय सौरभ जी-

उल्लाला के भाव से, शिल्पी-सुगढ़ कसाव से । 

बढ़िया चित्र जुड़ाव से , पढता रविकर चाव से ॥ 

सादर धन्यवाद आदरणीय. आपका अनुमोदन शिरोधार्य है.

यह अवश्य है कि चित्र के मर्म को छूने का प्रयास हुआ है जिस ओर आपका सटीक इशारा हुआ है. यदि सफल हो पाया तो स्वयं को धन्य समझूँगा.

सादर

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आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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