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मैथिली साहित्य Discussions (35)

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Abhay Kant Jhaa Deepraaj ke Maithilee Ghazal - 2 -

                                   ग़ज़ल मोन  प्रपंच  पाप  सँ  दूषित,  भाषण   जन - समुदाय   के | कोना  एहन  नायक  समाज  में,  परचम  बनता न्य…

Started by Abhay Kant Jha Deepraaj

0 Mar 18, 2011

Maithilee Ghazal - 1 .................by Abhay Kant Jha Deepraaj

अभय कान्त झा दीपराज के मैथिली ग़ज़ल -                   मैथिली ग़ज़ल - १ कहू कोना ? जे, आम आदमी बनि कय की - की भोगलौं हम |खून - खुनामह भेल कर…

Started by Abhay Kant Jha Deepraaj

0 Mar 9, 2011

Abhay Kant Jha Deepraaj Ke Maithilee Geet .............................By Abhay Deepraaj

अभय कान्त झा दीपराज कृत - मैथिली गीत क्रमांक - ४       हम बेटी बनि जन्म जे लेलौं...........हम  बेटी  बनि  जन्म  जे  लेलौं ,   बड़ दुःख देखल…

Started by Abhay Kant Jha Deepraaj

0 Jan 11, 2011

बरसि रहल अछि नोर

हँसी क एक बूँद लेल सदिखन तरसि रहल अछि ठोर, लाख रोकै छी मुदा न रूकै बरसि रहल अछि नोर. की संs की भs गेलै दुनिया हम जहिना के तहिना. वक्त पडे…

Started by Manoj Kumar Jha

1 Jan 8, 2011
Reply by Abhay Kant Jha Deepraaj

Abhay Kant Jha Deepraaj Ke maithili Geet...... by Abhay Deepraaj

अभय कान्त झा दीपराज के मैथिली गीत क्रमांक - ३                    भगवती के गीतहे भगवती , जननी  जगत  के,कृपा के छाया दिअ |जाहि सँ हम  धन्य  ज…

Started by Abhay Kant Jha Deepraaj

0 Dec 23, 2010

Abhay Kant Jha Deepraaj Ke maithili Geet...... by Abhay Deepraaj

अभय कान्त झा दीपराज के मैथिली गीत क्रमांक - २                                  भगवती के गीत अवलम्ब  अहीं  हे  जगदम्बा,  माँ,  संतानक   दु…

Started by Abhay Kant Jha Deepraaj

0 Dec 18, 2010

Abhay Kant Jha Deepraaj ke maithilee Geet ...............................By Abhay Deepraaj

अभय कान्त झा दीपराज के मैथिली गीत क्रमांक - १                               भगवती के गीत जय  माँ  अम्बे ,  जय  जगदम्बे , हमरा  पर  उपकार…

Started by Abhay Kant Jha Deepraaj

0 Dec 17, 2010

लागत मौन आब चउके पर......

लागत मौन आब चउके पर...... आइब गेल भाई फेर चुनाव, मोछ पिजाऊ आर खेलु दाऊ, काका भैया आहू आऊ, पान सुपारी खूब दबाऊ, फाईर फाईर पुरिया के खाऊ, ला…

Started by pankaj jha

0 Oct 7, 2010

" RUPWAAN "

HAMMAR RACHNA MAITHLI MAIN. Subodh kumar (sharad)

Started by Subodh kumar

1 Sep 10, 2010
Reply by Subodh kumar

yo mithila wasi jagu yo

यो मिथिला वासी जगु यो आऊ आडंबर स आगू यो संकुचित विचार के त्यागु यो यो मिथिला वासी जगु यो अई राजनीत कंठक सासरी मइर रहल समाज लगा फसरी निर्ला…

Started by pankaj jha

1 Aug 28, 2010
Reply by Admin

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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

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मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

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