For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छंद सलिला:
उल्लाला  (चन्द्रमणि)
संजीव 'सलिल'

*

उल्लाला हिंदी छंद शास्त्र का पुरातन छंद है। वीर गाथा काल में उल्लाला तथा रोल को मिलकर छप्पय छंद की रचना की जाने से इसकी प्राचीनता प्रमाणित है। उल्लाला छंद को स्वतंत्र रूप से कम ही रचा गया है। अधिकांशतः छप्पय में रोला के 4  चरणों के पश्चात् उल्लाला के 2 दल (पद या पंक्ति) रचे जाते हैं। प्राकृत पैन्गलम तथा अन्य ग्रंथों में उल्लाला का उल्लेख छप्पय के अंतर्गत ही है।

जगन्नाथ प्रसाद 'भानु' रचित छंद प्रभाकर तथा ॐप्रकाश 'ॐकार' रचित छंद क्षीरधि के अनुसार उल्लाल तथा उल्लाला दो अलग-अलग छंद हैं। नारायण दास लिखित हिंदी छन्दोलक्षण में इन्हें उल्लाला के 2 रूप कहा गया है। उल्लाला 13-13 मात्राओं के 2 सम चरणों का छंद है।  भानु जी ने इसका अन्य नाम 'चन्द्रमणि' बताया है। उल्लाल 15-13 मात्राओं का विषम चरणी छंद है जिसे हेमचंद्राचार्य ने 'कर्पूर' नाम से वर्णित किया है। डॉ. पुत्तूलाल शुक्ल इन्हें एक छंद के दो भेद मानते हैं। हम इनका अध्ययन अलग-अलग ही करेंगे।

'भानु' के अनुसार:

उल्लाला तेरा कला, दश्नंतर इक लघु भला।

सेवहु नित हरि हर चरण, गुण गण गावहु हो शरण।।

अर्थात उल्लाला में 13 कलाएं (मात्राएँ) होती हैं दस मात्राओं के अंतर पर ( अर्थात 11 वीं मात्रा) एक लघु होना अच्छा है।

 

दोहा के 4 विषम चरणों से उल्लाला छंद बनता है। यह 13-13 मात्राओं का सम पाद मात्रिक छन्द है जिसके चरणान्त में यति है। सम चरणान्त में सम तुकांतता आवश्यक है। विषम चरण के अंत में ऐसा बंधन नहीं है। शेष नियम दोहा के समान हैं। इसका मात्रा विभाजन 8+3+2 है अंत में 1 गुरु या 2 लघु का विधान है।  

सारतः उल्लाला के लक्षण निम्न हैं-

1. 2 पदों में तेरह-तेरह मात्राओं के 4 चरण

2. सभी चरणों में ग्यारहवीं मात्रा लघु

3. चरण के अंत में यति (विराम) अर्थात सम तथा विषम चरण को एक शब्द से न जोड़ा जाए।

4. चरणान्त में एक गुरु मात्रा या दो लघु मात्राएँ हों।

5. सम चरणों (2, 4) के अंत में समान तुक हो।

6. सामान्यतः सम चरणों के अंत एक जैसी मात्रा तथा विषम चरणों के अंत में एक सी मात्रा हो। अपवाद स्वरूप प्रथम पद के दोनों चरणों में एक जैसी तथा दूसरे पद के दोनों चरणों में एक सी मात्राएँ देखी गयी हैं।

 

 उदाहरण :

1.नारायण दास वैष्णव (तुक समानता: सम पद)

रे मन हरि भज विषय तजि, सजि सत संगति रैन दिनु।

काटत भव के फन्द को, और न कोऊ राम बिनु।।

2. घनानंद  (तुक समानता: सम पद)

प्रेम नेम हित चतुरई, जे न बिचारतु नेकु मन।

सपनेहू न विलम्बियै, छिन तिन ढिग आनंदघन।

3. ॐ प्रकाश बरसैंया 'ॐकार' छंद क्षीरधि  (तुक समानता: सम पद)

राष्ट्र हितैषी धन्य हैं, निर्वाहा औचित्य को।

नमन करूँ उनको सदा, उनके शुचि साहित्य को।।

प्रथम चरण 14 मात्राएँ,

4.जगन्नाथ प्रसाद 'भानु' छंद प्रभाकर (तुक समानता: प्रथम पद के दोनों चरण, दूसरे पद के दोनों चरण)

काव्य कहा बिन रुचिर मति, मति सो कहा बिनही बिरति।

बिरतिउ लाल गुपाल भल, चरणनि होय जू रति अचल।।  

5. रामदेव लाल विभोर, छंद विधान (तुक समानता: चारों चरण, गुरु मात्रा)

सुमति नहीं मन में रहे, कुमति सदा घर में रहे।

ऊधो-ऊधो सुगना कहे, विडंबना ममता सहे।।

6. अज्ञात कवि (प्रभात शास्त्री कृत काव्यांग कल्पद्रुम)

झगड़े झाँसे उड़ गए, अन्धकार का युग गया।

उदित भानु अब हो गए, मार्ग सभी को दिख गया।।

7. डॉ. मिर्ज़ा हसन नासिर (नासिर छन्दावली)

 बुरा धर्म का हाल है, सत्य हुआ पामाल है।

सुख का पड़ा अकाल है, जीवन क्या जंजाल है।।

8. संजीव 'सलिल'

दस दिश खिली बहार है, अद्भुत रूप निखार है।

हर सुर-नर बलिहार है, प्रकृति किये सिंगार है।।

9.संजीव 'सलिल'

हिंदी की महिमा अमित, छंद-कोष है अपरिमित।

हाय! देश में उपेक्षित, राजनीति से पराजित।।

10. संजीव 'सलिल'

मौनी बाबा बोलिए, तनिक जुबां तो खोलिए।

शीश सिपाही का कटा, गुमसुम हो मत डोलिए।।

11. संजीव 'सलिल'

'सलिल' साधना छंद की, तनिक नहीं आसान है।

सत-शिव-सुन्दर दृष्टि ही, साधक की पहचान है।।

***

Views: 5373

Replies to This Discussion

आदरणीय आचार्य जी 1.  ''इसका मात्रा विभाजन 8+3+2'     है तथा    2. '' सम तथा विषम चरण को एक शब्द से न जोड़ा जाए । इन दोनों चीजों को समझ नहीं पाया, यदि सोदाहरण समझाएं तो आभारी रहूंगा

प्रिय राजेश जी!

आपकी रूचि और जिज्ञासु वृत्ति प्रशंसनीय है. शुभकामनाएं.

पिंगल में उक्तानुसार उल्लेख है. पुराने कवियों ने इसका यथासंभव पालन भी किया है किन्तु सर्वत्र नहीं कर सके. आधुनिक कवि इस बंधन का पालन नहीं कर रहे हैं. पाठकों की जानकारी हेतु इसका उल्लेख किया गया है किन्तु लक्षणों में इसका उल्लेख नहीं किया है.

चरणान्त में दो लघु या १ गुरु का विधान होने से प्रवाह के लिए उसके पूर्व ३ मात्रा के शब्द प्रायः उपयोग हुए हैं, इन्हें छोड़ दें तो तो शेष शब्दों की  मात्रा ८ आती हैं. नारायण दास तथा घनानंद के उदाहरणों से यह स्पष्ट होगा.

रे मन हरि भज = ८, विषय = ३  तजि =२, सजि सत संगति = ८  रैन = ३  दिनु = २ ।

काटत भव के = ८,  फन्द = ३, को = २, और न कोऊ = ८, राम = ३, बिनु = २।।

प्रेम नेम हित = ८,  चतुर = ३, ई =२, जे न बिचारतु = ८, नेकु = ३, मन = २।

सपनेहू न वि = ८, लम्बि = ३, यै = २ , छिन तिन ढिग आ = ८, नंद = ३, घन = २। (इस पंक्ति में नियम के अनुसार शब्द नहीं रह सके हैं.)

तथा    2. '' सम तथा विषम चरण को एक शब्द से न जोड़ा जाए ।

विषम चरण (पहला, तीसरा) तथा सम चरण (दूसरा, चौथा) में मध्य यति (विराम का विधान है) यदि विषम चरण के अंत में कोई लम्बा शब्द प्रयोग किया जाए जो सम चरण के प्रारंभ तक चला जाए तो तेरह मात्रा के चार चरणों का नियम भंग होकर २६ मात्रा के दो पद मात्र  रह जायेंगे और उल्लाला की लय ही नष्ट हो जायेगी.

आशा है समाधान हो गया होगा.1.  ''इसका मात्रा विभाजन 8+3+2' है.

आदरणीय आचार्य जी, आपने जितनी सुंदरता के साथ समझाया है उससे तो सीधे-सीधे विधान कंठस्‍थ हो गया । आपका आभार कि बारीकियों को भी सहजता के साथ बताया, सादर

जिस तार्किकता और संतुलित भाव से प्रस्तुत छंद का सार साझा किया गया है, वह रुचिकर है. यही वह कारण है जिससे आज के किसी प्रयासकर्ता के मन में किसी छंद के प्रयोग के प्रति ललक पैदा होती है. छंद विधान स्पष्ट हैं. लेकिन अक्सर उनकी महीनी समझाने वाला मौके पर सुलभ नहीं हो पाता, अतः आज के रचनाकार छंदों पर प्रयास करने से ही बिदकते हैं. दूसरे, इनके विधान के प्रस्तुतिकरण में आज के कतिपय विद्वानों और जानकारों द्वारा अनावश्यक क्लिष्टता बरती जाती है.

यह स्पष्ट है कि इतने उदाहरणों को देखने-समझने के बाद छंद से संबंधित कई-कई भ्रांतियाँ या व्यक्तिगत मान्यताएँ पाठकों को हाशिए पर चली गयी दिखेंगीं.

दोहा, रोला और कुण्डलिया पर अभ्यास करने वाले आसानी से इस उल्लाला छंद पर अभ्यास कर सकते हैं.

आपके इस अनुपम योगदान के लिए आपका सादर आभार आदरणीय आचार्यजी. 

राजेश जी, सौरभ जी, आपको यह प्रयास रुचिकर लगा तो मेरा श्रम सार्थक हुआ. हम सब एक दूसरे से सीखकर ही हिंदी के विकास में सहायक हो सकते हैं.

आदरणीय संजीव जी, 

सादर आभार उल्लाला छंद पर विस्तृत समझाता हुआ आलेख प्रस्तुत करने के लिए, यह छंद दोहा छंद के काफी करीब है.

आदरणीय संजीव जी एक संशय है, कृपया निवारण कीजिये 

हाय! देश में उपेक्षित, राजनीति से पराजित।।.......................जैसा की आपने विधान में बताया की ११वीं मात्र सदैव लघु होनी चाहिए. किन्तु प्रस्तुत पंक्ति के सम व विषम चरण दोनों में ही ग्यारहवीं मात्रा दीर्घ है. या मैं ही गणना में त्रुटी कर रही हूँ. 

सादर.

प्राची जी!
वन्दे मातरम.
आपकी सूक्ष्म दृष्टि ने ठीक ही देखा.
हाय! देश में उपेक्षित, राजनीति से पराजित।।
प्रथम अर्ध- उपेक्षित में 'क्षि' में तो ध्वनियों का मेल है. 'क्' + 'शि', 'क्' 'पे' के साथ जोड़कर पढ़ा जाएगा. शेष 'शि' लघु है.  
उत्तरार्ध में 'पराजित' में त्रुटि है जिसका खेद है. उत्तरार्ध को 'राजनीति से पद-दलित' कर त्रुटि निवारण किया जा सकता है. ध्यान आकर्षित करने हेतु आभार.  

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर हर…"
15 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"रदीफ़ क़ाफ़िया में तो ऐसा कोई बंधन नहीं है इसलिये आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। "
58 minutes ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नमस्कारक्या तरही मिसरे में लिंग अनुसार बदलाव करसकते हैंक्यूंकि उसे मैं अपने अनुसार प्रयोग…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागत है।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"यह तरही के लिए है या पृथक से?"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागतम"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )

११२१२     ११२१२       ११२१२     ११२१२  मुझे दूसरी का पता नहीं ***********************तुझे है पता तो…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाई , वाह ! बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है , दिली बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश भाई  हमेशा की तरह अच्छी ग़ज़ल हुई है,  हार्दिक  बधाई वीकार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण  भाई , अच्छी ग़ज़ल कही , बड़ी कठिन रदीफ़ चुनी आपने , हार्दिक  बधाई आपको "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें मक्ता शायद अपनी बात नहीं कह पा रहा…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति हमेशा प्रेरणा दाई  होती है , ग़ज़ल के कुछ शेर आपको अच्छे…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service