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भोजपुरी साहित्य Discussions (247)

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बिहार में

आजा घुमाईं देहीं, तोहके बधार में. लेल s लेल राजा, जवानी उधार में. सोना जस रंग हमार, चानी जस बदनवा. पतरी कमर हम्मर, बरछी जस नयनवा. चार सौ चा…

Started by satish mapatpuri

3 Jul 31, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

की तोहसे प्यार करी ले तोहरे से प्यार करीले ,

f मनवा में त चाह बा हमारो तोहरा के अपनाई, इ जनम का सातों जनमवा तोहरे पे लुटाई , की तोहसे प्यार करी ले तोहरे से प्यार करीले , m तोहरे खातिर…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Jul 30, 2010
Reply by satish mapatpuri

मुख्य प्रबंधक

भोजपुरी ग़ज़ल (गनेश जी बागी)

गुड़ खूब खाले ख़ाली, गुल्गुल्ला से परहेज बा, आपने म्यान काटे, राउर तलवार बड़ी तेज बा , गाय के रखवारी देखी ,करत बा कसाई, पाई मोका करी हलाल,…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

13 Jul 30, 2010
Reply by satish mapatpuri

बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के , आग लगइबु का हो गोरिया बीच बजरिया आई के , चाल बा तोहर नागिन जइसन अचरा जब सरकावेलू , देख के मु…

Started by Rash Bihari Ravi

5 Jul 29, 2010
Reply by satish mapatpuri

आपन दुःख केकरा से कही ,

आपन दुःख केकरा से कही , इहा के बाटे सुने वाला , हर तरफ अन्धिआर भइल बा , धधकत बा दहेज के ज्वाला , बेटी के बाप त हमहू बानी , बड़ी मुश्किल से…

Started by Rash Bihari Ravi

5 Jul 29, 2010
Reply by kunal roy

मुख्य प्रबंधक

हल्की फुल्की हँसी की बात (भाग 5)

बहुत लोग के ना पता होई हमनी के गुरु जी ( Ravi Kumar Giri ) हस्त रेखा के भी जानकार बानी, एक दिन जगन भाई गएलन गुरु जी से आपन हाथ देखावे,गुरु…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

6 Jul 24, 2010
Reply by samarjeet kumar

काहे हमके सतावे लू गोरी खाली एगो झलक दिखाके ,

काहे हमके सतावे लू गोरी खाली एगो झलक दिखाके , का मिलेला तोहके बोला आइसे में हमके तरपा के , जाने लू तोहरे के चाही ले रखी ले दिल में बसा के ,…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Jul 22, 2010
Reply by suryajeet kumar singh

मुख्य प्रबंधक

बाबूजी सिखवले ( भोजपुरी गीत )

बाबूजी सिखवलेs दुःख, सहीहs अपार , कबो ना करिहs बबुआs, केकरो प वारs , गलती ना करिह अइसन,पिटे पड़े कपारs, दुनिया में कुछु ना रही, रह जाई प्यार…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

4 Jul 20, 2010
Reply by Neelam Upadhyaya

अरे बाप रे बाप इ जिए ना दी कादून ,

अरे बाप रे बाप इ जिए ना दी कादून , दमवा बढावले बाटे फिरू इ बढाई , हमनी गरिबवान के आसू ना दिखाई , इ ता बरका लोग से मॉल पुआ खाई , अबकिर भोटवा…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Jul 19, 2010
Reply by Saurabh Pandey

अउर ए बंद से महँगाई घटि गइल...हा..हा..हा..हा

केतना खुसी के बाति बा की काल्ह की बंद से महँगाई घटि गइल. हाँ भाई...काँहें हँसतानि..घटल नइखे का? खैर हो सकेला रउरा खातिर ना घटल होखे पर ए बं…

Started by Prabhakar Pandey

2 Jul 8, 2010
Reply by Rash Bihari Ravi

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
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"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
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"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
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"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
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"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
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"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
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"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
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"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
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