For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चिहुँकि उठिह 

भोर भइला के पहिले 

जब 

देखिह सपनवा मिलनवा के 

धीरज जनि छोड़िह 

कदम जनि मोड़िह 

परेम पग रहिया 

खनकि उठिह 

जस 

गीत काढ़े कलाई कंगनवा से 

कागा उचरिहें जब 

अंगना सगुनवा 

हमसे मिले, मोरे 

प्रीत क पहुनवा 

लुकाछिपी करत 

निकलि अइह 

जस 

बदरी से निकसे चंदरमा हे 

निनिया खुली त 

सपना सजाइल रही 

माँग 

सजना-सेनुरवा 

भराइल रही 

जस 

भोरे पुरूब असमनवा के । 

- - - प्रमोद श्रीवास्तव - - - 

अप्रकाशित व मौलिक 

Views: 938

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रमोद भाई, राउर पहिल रचना देख रहल बानीं का हम ? बाकिर नेह आ छोह के निकहा रसधार बहवले बानीं रउआ. गीत पक्ष के कमनीयता आ मुलामियत त बड़ले बा राउर एह रचना में नैसर्गिक उछाह बड़ुए जवन एह भासा के बड़हन तागत हऽ. बस एगो निहोरा बा. उमेद बड़ुए जे रउआ साहित्यिक सुझाव का नजर से देखत आ सँकारत ओह के मान देबि.  गीत जब साहित्यिक हो जाले त लोकगीत से तनिका फरक बेवहार करे लागेले. तब शिल्पपक्ष प धेयान दिहल उचित बुझाए लागेला. रउआ एह दिसाईं गँभीरता से सोचत रचनात्मक कोरसिस आ रचना-अभ्यास करत रहब.

दिल से धन्नबाद आ शुभकामना..

जै जै

आदरणीय सौरभ पाण्डेय  जी, राउर  सूझाव पढि के जियरा गदगदाइ गइल बा।तनि अउरि खोलि के समझइतीं अपना मे सुधारे खातिर अउर सहुलियत मिलि जाइत। राहि देखावे खातिर आभार । 

आदरणीय प्रमोद श्रीवास्तव जी, रउआ एह मंच पर बनल रहीं आ रचनाकर्म के कूल्हि पहलू प निकहे धेयान बनवले रहीं. सभ बिन्दु एकैगो करत बुझात चल जाई.

जै जै 

जै जै ।

भावो  से ओत प्रोत इस रचना के लिए  हार्दिक धन्यवाद i 

.सादर

राउरा के सादर आभार ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"निडर होने का मतलब वृहत समुदाय की भावनाओं को आहत करना तो नहीं ही हो सकता है। आप के इस शेर से मुझे…"
48 seconds ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, एक अच्छी ग़ज़ल से मुशायरे को शुरुआत दी आपने। लगभग सभी शेर अच्छी कहन में हैं,…"
7 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. अजय जी व्यभिचार भी यह कहीं प्रतीत नहीं होता की हमेशा करते रहे ..लेकिन व्यभिचार…"
17 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. तिलकराज सर "
30 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ऋचा जी। आदरणीय शिजजु जी और नीलेश भाई ने जो बिन्दु दिए हैं वो…"
34 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"रदीफ़ 'भी करते रहे' पर आपकी स्पष्टता महत्वपूर्ण और समझने का विषय है।  आश्वस्त हूँ कि…"
54 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर अच्छे अशआर हुए हैं आदरणीय नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा है। छल -कपट से देवता व्यभिचार भी…"
57 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जु भाई, अच्छे अशआर के लिए बहुत बहुत बधाई। गिरह बेहद पसंद आई और तीसरे शेर के लिए ख़ास दाद…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मुशायरे का आग़ाज़ करने के लिए बधाई लक्ष्मण भाई। अच्छी ग़ज़ल हुई है पर समय चाह रही है। आदरणीय तिलकराज जी…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़ज़ल - 2122 2122 2122 212 वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे नेता मिल के भ्रष्टाचार भी करते रहे वो बहाने के लिए…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"भाई शिज्जू जी, आपकी प्रस्तुति कमाल की सोच लेकर सामने आयी है.  जैसे,  धर्म-संकट से बचाना…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service