For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना जी के एगो भोजपुरी ग़ज़ल

 

कंक्रीट के शहर में पत्थर हो गइल अदमी

 

दिल का ह दिमागों से बंजर हो गइल अदमी

 

 

रोपाया के बिछौना पर सोना के रहीत चादर

बस एही हाव हाव में अधमर हो गइल अदमी

 

होइत जे धुप गुन गुन ठंडी के मारे वाला

बदले में आग बरिसत, दुपहर हो गइल अदमी

 

पईसा के लत ह बाउर, सबके बझा के रखलस

सम्बन्ध के दुनिया में दफ्तर हो गइल अदमी

 

ऊपर से लागे जइसे ह जेठ वाला बदरी

भीतर से नूनछाही, सागर हो गइल अदमी

 

उपकार माँई बाबू के एह कदर भूलाइल

सेवा के डरे उनके, दूबर हो गइल अदमी

 

हे राम तोहर गंगा काहे ने होई मइली

होखबे करी जब पाप के गठ्ठर हो गइल अदमी

 

(साभार : डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना जी के भोजपुरी कविता संग्रह " जिनगी पहाड़ हो गइल" प्रकाशक 'इन्द्रप्रस्थ भोजपुरी परिषद्,' नई दिल्ली, डॉ. मस्ताना भोजपुरी आ हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठित कवि बानी. मंच पर उहाँ के गायन के जोड़ नइखे., रउरा "भोजपुरी जिन्दगी, भोजपुरी से तिमाही पत्रिका नई दिल्ली के  के प्रधान संपादक बानी. आ "पुरवैया" राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था के  राष्ट्रीय अध्यक्ष बानी, रउरा "कव्यांगन", महाबीर चौक, पुरानी गुदरी  बेतिया, प.चंपारण, बिहार में रहेनी)

 

Views: 899

Replies to This Discussion

आप बहुत बढियां गज़ल कहलीं |आज काल के जीवन क कई गो रंग एमें देखे के मिळत बा |

बधाई कबूलीं |

abhinav ji
bahut bahut dhanyvad
santosh patel

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service