For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब त बाबू इंजीयर बा (हमार पहिला भोजपुरी कहानी) भाग-१

               परसिद्धन के दुआरे लोगन क भीड़ जुटल रहे| खटिया मचिया चौकी कुर्सी कुल पर लोग बईठल रहलं| अंगना में मेहरारू आ लईकी गजाइल रहलीं| पईलउठी क लईका होखे की ख़ुशी में परसिद्धन क गोड़ भुईयां ना पड़े| सगरो गाँव नेवत देले रहलं| किरिन ढरकते लोग खाए लगलन| औकात से बढ़िया बेवस्था बुझात रहे| अंगना में मेहरारू लोग निक से निक सोहर गांवे| खईला की बाद मनरंजन खातिर चौकी पर क नाचो रहे|

                केहू कहे की लईका के कलट्टर बनईहा त केहू डंगडर (डाक्टर) बनावे के सलाह दे| लेकिन परसिद्धन के मन में बस इहे एगो इच्छा रहे की बबुववा इंजीयर (इंजिनियर) बनी|

धीरे-धीरे समय समय बीते लागल| तीन साल क दिन बीत गईल| उनकर एगो लईकी भी भइल| परसिद्धन इ बात से तनी नाराज भइलन| तबो सोचे की जाये दा परिवार त पूरा भइल| अब घर में चार गो परानी भ गइल रहलं| खेत जमीन भी ठीक ठाक रहे| खाए की बाद बेंचे भर के भी अनाज हो जाय|

 

                 विनोद रोज-रोज पढ़े जाय| तिसरका क्लास में आ गइल रहे| पढ़े में भी होशियार रहे| परसिद्धन आपन जिम्मेदारी समझें आ कबो-कबो स्कूले जा के मास्टर लोग से मिलें आ पूछे, " माहटर जी, हमार लईकवा कईसन बा पढ़े में| तनी ओकर धियान राखब |"

                 एक दिन राज्देई कहलीं, " ए बिंधवा के बाबु जी, काहें न पिरंकवो क नाम लिखा देला | उहो जात पढ़े | तनी उहो पढ़ लेत त आपन नाव गाँव त लिख लेत |"

                 परसिद्धन कहलन," उ का करी पढ़ के, खनवे न बनावे का बा ओके| काहें न खाना बनावे सिखावेली |"

                लेकिन राज्देई के बार कहला पर ओहू क नाम लिखा देवल गइल| दुनो भाई बहिन संगे संगे पढ़े जांय| जईसहीं लईकवा ओईसहिन लईकियो पढ़े में हुशियार रहे|

 

                  माघ बीतत रहे| दुनो परानी गेंहू की खेत में से बनगेंहुआ उखारत रहलं| परसिद्धन कहलन," देखबी बिनोद क माई, बबुववा कहत रहे की असों ओकर बारह पूरा हो जाई | हम सोचत हईं की भगवान् की किरिपा से अगर बढ़िया अनाज हो जाई त ओकर नांव इन्जियरी (इंजीनियरिंग) में लिखा देतीं | हमार बड़ा सपना बा की लाल इंजीयर हो जईहन त हमनी क कूल्ह दुःख भाग जाई |"

                 राज्देई भी हुंकारी भर दीहलीं|

                 अभिन आलू क सौदा न भइल रहे|

 

                 बिनोद के इंजीनियरिंग के पढाई के एक साल पूरा हो गइल रहे| प्रियंका भी दस फर्स्ट क्लास में पास हो गइल| बाबू जी उनकर खातिर लईका जोहे लागलं | प्रियंका भैया से पढ़े में तनिको ओनईस ना रहे| ओहू क खूब पढ़े क मन करे| एक दिन उ माई से सिपारिस कईलीं," ए माई, बाबू जी से कह के हमारो नाम लिखवा दे ना ११ में| हमरो पढ़े क मन करेला |" राज्देई भी सोचे की लईकियो पढ़ ले, फिर सोचे की कहाँ से एतना पईसा आई| बबुववा के पढ़वले में हाथ गोड़ बन्हाईल बा| बेवंत कहाँ बा एके पढावे खातिर| आ एगो बात और रहे की उनका धियान में कवनो लईकी ना रहलीं जवन की १० के आगे पढ़त होखें| अनमनाहे ढंग से कहलीं," ठीक बा तोहार बाबू जी से हम बात करब |"

Views: 1512

Replies to This Discussion

bahut badhia kahani bhai 

dhnywad guru ji.

jaldiye hm ekar dusarka bhag type k ke bhejab.

गाँव की भाषा में दिल को छूती हुई  इस कथा में गाँव में बेटे और बेटी के बीच शिक्षा को लेकर व्याप्त भेद को मार्मिक ढंग से उठाया गया है |  यह स्थिति आज के कथित विकास की सच्ची तस्वीर पेश करती है | अच्छी और कसी हुई कथा के लिए बधाई आशीष जी !!

बहुत खूब आशीष बाबू , अबही तक के कथा पढ़ी के त हम इहे कहब की कहानी के बाउनडरी बहुते नीमन बन्हले बाड़ा, बहुत खूब | 

Arun Kumar Pandey 'Abhinav' ji ewam Ganesh Jee "Bagi" ji,

aap logan ke kahani k pahilka bhag pasand aail, hmar lekhan kuchh kuchh safal ho gail. aa hm dhanya.

bahute dher dhanywaad.

hamke ummid ba ki dusarko bhag aap logan ke pasand aai|

badhiya kahani ....sughar tarika kahani kaheke  abut badhiya badhai  bhai .

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service