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Meena Pathak's Discussions (281)

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मुख्य प्रबंधक

"एगो बाति कहीं आ० गनेश जी .. इ नईहर के लोग बुचिया के बिगाडेला लोग, साच्चों.... बाकी ब…"

Meena Pathak replied Dec 20, 2013 to भोजपुरी लघुकथा : मन्थरा (गणेश जी बागी)

13 Mar 12, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"हम ना लड़ब अयोग बानी , पार्टी त हमर बतिया मानी , तब टिकट मिलजाइ बहुआ के , जित त आपन प…"

Meena Pathak replied Nov 8, 2013 to अब का होई नेता जी

3 May 30, 2014
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

"बाह !! बहुते सुन्दर पस्तुति ...बधाई रउआ  के | सादर "

Meena Pathak replied Nov 8, 2013 to सुन शहरी बाबू जा देख गाँव के नज़ारा |

2 Nov 8, 2013
Reply by Meena Pathak

सदस्य टीम प्रबंधन

"दर-दर भटकसु रामजी, रावन बड़हन पेट चहुँप अजोध्या जानकी, भइली मटियामेट तुलसी देई पूरि द…"

Meena Pathak replied Nov 8, 2013 to दशहरा : भोजपुरी दोहे // -- सौरभ

19 Feb 2, 2014
Reply by Dr. Anil Mishra

मुख्य प्रबंधक

"एक दुइ तीन.. अरे ..., चिचियाता छोटुआ जे,भागऽ स रे सरवा ई, गिनिती सिखावता ॥हा हा हा ह…"

Meena Pathak replied Nov 8, 2013 to भोजपुरी हास्य घनाक्षरी

6 Nov 8, 2013
Reply by Meena Pathak

मुख्य प्रबंधक

"भूल गईल गाँव, बिसर गईल बोली,देवाली, दसहरा, छठ अउरी होली,बबुआ दारु संगे बइठकी लगवले ब…"

Meena Pathak replied Nov 8, 2013 to भोजपुरी गीत : शाबास बबुआ

16 Sep 22, 2015
Reply by indravidyavachaspatitiwari

"बहुते नीक ... जियरा जुड़ा गईल पढ़ि के ढेर के बधाई रउआ के"

Meena Pathak replied Sep 7, 2013 to सावनी गीत

5 Oct 18, 2013
Reply by रामनाथ 'शोधार्थी'

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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
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Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
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Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
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Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday

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