For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पटना वाला प्यार (कहानी संग्रह) पुस्तक समीक्षा

पुस्तक : पटना वाला प्यार
विधा- कहानी संग्रह
लेखक- अभिलाष दत्त
प्रकाशक-समदर्शी प्रकाशन
संस्करण- अक्टूबर,2018
मूल्य - ₹150/-

अभिलाष दत्त द्वारा लिखी हुई इस पुस्तक में कुल 11 कहानियाँ हैं। इस संग्रह को पढ़ते हुए यह मेहसूस ही नही हुआ कि मैं कोई कहानी पढ़ रही हूँ, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई किशोर अपने दिल की बात साझा कर रहा है। वह अपनी आप-बीती सुना रहा है।लेखक अपनी संवेदनाओ से सभी को जोड़ने का प्रयास कर रहा है।
हर कहानी आम ज़िन्दगी से जुड़ी हुई है, समाज को आईना दिखाती है।
पटना की जीवन शैली,वहाँ की संस्कॄति इन कहानियों की पृष्ठभूमि है। हर कहानी सहज है, अपने शहर से जुड़ा हुआ व्यक्ति अपने शहर से परिचित हो जाता है, वह उसकी हर नस से वाकिफ़ होता है, ऐसा ही इन कहानियों को पढ़कर मेहसूस होता हैं।
सहज और स्पष्ट संवाद, घटनाओं का सजीव चित्रण अभिलाष जी की कहानियों में दिखाई देता हैं।
हर कहानी को पढ़ते वक्त यह मेहसूस हुआ कि अभिलाष जी खुद इन कहानियों में एक पात्र की तरह मौजूद हैं।
पटना वाला प्यार कहानी युवा वर्ग पर केंद्रित है, कॉलेज में आते आते युवावस्ता में आते हुए शारीरिक और मानसिक बदलाव के चलते, वह हर वो चीज करना चाहता है जो उसके आसपास दिखाई देता है। दोस्तों के बीच रहना, कॉलेज कैंटीन में गपशप करना, लड़कियो को निहारना, उनकी बातें करना, गर्ल फ्रेंड बनाना, स्टाइल मारना, इत्यादि यह लगभग सभी युवा की आदत होती है, इस उम्र में आकर्षण और प्रेम के बीच के फर्क को युवा नहीं समझ पाते, और अक्सर भटक जाते हैं। इस कच्ची उम्र में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। पढ़ाई का बोझ, कैरियर की चिंता, दोस्ती निभाना, अपने आप को किसी भी जगह कमतर न समझना, अपने को साबित करने के लिए किसी भी हद तक चले जाना, ये सब एक आम युवक की इच्छा होती है, और वह अपनी उम्र से बड़े होनी के प्रयास में कई बार मानसिक तौर पर टूट जाता है, बिखर जाता है। और इस दौरान गर वह प्यार और गलत संगत में पड़ जाये तो वह खुद को इस सब से बाहर नही आपाता और वह इस दलदल में धँसता जाता हैं।युवा की जितनी गर्लफ्रेंड होंगी उतनी ही कॉलेज में उसकी पूछ परख होगी, इस सोच में अक्सर युवा खुद को इस मायाजाल में फँसा लेता है और भटक जाता है। इस कहानी को पढ़ते वक़्त युवा मानसिकता और उनके भीतर मनोवैज्ञानिक बदलाव, उनकी संवेदनाओं, उनकी कोमल भावनाओं को देखा जा सकता है। इसी उम्र में युवा या तो बन जाता है या भटक जाता है। इन सभी का चित्रण इस कहानी में देखा जा सकता हैं। पटना वाला प्यार कहानी के दोनों भाग इसी पर आधारित है। 'एक मुलाक़ात' पटना के एक ऐसी लड़की की कहानी है जो प्रेमजाल में फंसकर अपना घर बार छोड़ देती है और अपने प्रेमी के साथ भाग कर दिल्ली आ जाती है। यहाँ वह वैश्यावृत्ति के दलदल में फंस जाती है।यह सहज सभिव्यक्ति बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है और साथ में युवा को एक सन्देश देती है।
रीयूनियन एक मार्मिक कहानी है, इस कहानी को पढ़कर व्यक्ति को अपने जीवन के कटु सत्य से साक्षात्कार हो जाता है। एक उम्र गुज़र जाने के बाद जब वह अपने बीते हुए कल से मिलता है तो एक बार पुनः यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि युवा अवस्था में की हुई कोई गलती पश्चाताप के अलावा कुछ नही देती, और कई बार तो समय पश्चाताप करने का मौका भी नही देता और इंसान इस जहाँ से विदा हो जाता है।
'लाल चच्चा', 'फैसला', 'अज्ञात आतंकवादी, ' सुसाइड जिम्मेदार कौन, यह सभी कहानियाँ पारिवारिक रिश्तों के बीच के ताने-बाने का चित्रण है। परिवार के बनते बिगड़ते रिश्तों के चलते सदस्यों को हर तरह से मुश्किलों का सामना करता पड़ता है, कई विरोधों का सामना करना पड़ता है, ऐसे ही समस्यायों पर आधारित ये कहानियाँ समाज को सीधे-सीधे आईना दिखाने वाली कही जा सकती है।
फैंसला कहानी पशु प्रेम पर आधारित है। यह एक अच्छी मनोवैज्ञानिक कहानी साबित होती है। 'दादा जी के नाम चिट्ठी' एक भावुक कहानी है। एक बच्चे और दादा के प्रेम की कहानी है।
संग्रह में सम्मिलित सभी कहानियाँ पठनीय हैं। एक दो जगह टंकण की त्रुटियाँ दिखाई देती हैं, पर वह नगण्य है। संग्रह का मुख्य आवरण पृष्ठ आकर्षित बन पड़ा है।
क्योंकि अभिलाष जी का यह प्रथम प्रयास है, इस संग्रह को इसी दृष्टिकोण से पढ़ना चाहिये। इस कहानी संग्रह के लिए मैं अभिलाष जी को बधाई देती हूँ और उनके भविष्य की उज्वल कामना करती हूँ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 415

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service