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बाल साहित्य Discussions (213)

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टूटता तारा

 शाम ढलते ही पिंकी अपने भाई के साथ छत पर आ गई ,दोनों भाई बहन आज खूब मौज मस्ती के मूड में थे ,तभी पिंकी को चिढ़ाते हुए राजू ने आसमान की तरफ…

Started by Rekha Joshi

0 Jul 25, 2012

सदस्य कार्यकारिणी

कल मैं फल खिलाऊँगा

बीज से निकला अभी  मैं नन्हा पौधा प्यारा  बच्चों मुझको पानी देदो  होगा उपकार तुम्हारा | मैं भी फिर संग- संग तुम्हारे  देखो बढ़ता जाऊँगा  और…

Started by rajesh kumari

0 Jul 22, 2012

सदस्य टीम प्रबंधन

मुन्ना मेरे

नटखट सलौना तू  , मेरा खिलौना तू ,  कितना तू प्यारा है , मुन्ना मेरे I   तेरी इन आँखों में , मीठी सी बातों में , रब का नज़ारा है , मुन्ना मेर…

Started by Dr.Prachi Singh

6 Jul 18, 2012
Reply by Dr.Prachi Singh

चिड़िया रानी...(बाल कविता)

चिड़िया रानी बड़ी सयानीदाना चुगने आई है,प्यारे-प्यारे रंग कईसाथ में अपने लाई है| आओ बच्चों तुम भी देखोइसकी कारगुजारी,भोली आँखें, मासूम चेहर…

Started by कुमार गौरव अजीतेन्दु

3 Jul 18, 2012
Reply by Dr.Prachi Singh

सदस्य टीम प्रबंधन

जादूगर आया

गावँ नगर जादूगर आया अजब-गजब के करतब लाया..   टोपी घुमा निकाले अंडा झट से फूल बना दे डंडा..   पल में कुछ भी गायब कर दे हाथ घुमा फिर वापस रख…

Started by Dr.Prachi Singh

4 Jul 1, 2012
Reply by Dr.Prachi Singh

सदस्य टीम प्रबंधन

HOLIDAY PRAYER FOR KIDS..

Thank you Lord ! for you gave children lovely holiday... When we can enjoy the life with fun filled games to play...   The bourdon of studi…

Started by Dr.Prachi Singh

2 Jun 29, 2012
Reply by Dr.Prachi Singh

चलो पौध लगाएं

चलो   पौध   लगाएं   चलो   पौध   लगाएं   चलो   पौध   लगाएं   हम  खेतों   में    जाएँ   खलिहानो    में    जाएँ  चुन   चुन   ठीक  जगह    गड्ढे…

Started by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

0 Jun 15, 2012

''हैरानी''

मुझको होती है हैरानी l   चंगू की नानी बड़ी सयानी बूढ़ी होकर गयी जवानी बिना दांत की दुखद कहानी खाने को वो जाती है जानी खाती लड्डू पीती पानी…

Started by Shanno Aggarwal

1 May 31, 2012
Reply by Rekha Joshi

चमकता तारा सूरज हमारा

पिंकी ने आज फिर राजू के हाथ में किताब देख ली ,बस मचल गई ,''भैया कहानी सुनाओ न ,क्या लिखा है इस किताब में ,बताओ न ''?अपने प्यारे भैया के हाथ…

Started by Rekha Joshi

0 May 29, 2012

Dharti hamaari gol gol

स्कूल से आते ही राजू ने अपना बस्ता खोला और लाइब्रेरी से ली हुई पुस्तक निकाल कर अपनी छोटी बहन पिंकी को बुलाया ,तभी माँ ने राजू को आवाज़ दी ,…

Started by Rekha Joshi

7 May 15, 2012
Reply by Deepak Sharma Kuluvi

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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
17 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
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Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
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"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
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