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गावँ नगर जादूगर आया
अजब-गजब के करतब लाया..
 
टोपी घुमा निकाले अंडा
झट से फूल बना दे डंडा..
 
पल में कुछ भी गायब कर दे
हाथ घुमा फिर वापस रख दे..
 
पानी उसे करे ना गीला
बदले रंग लाल और पीला..
 
हाथ घुमा कर सिक्के लाए
सब बच्चों को खूब हँसाए..
 
पानी में भी आग लगा दे
छड़ी घुमा झट उसे बुझा दे..
 
सबको खाली जेब दिखाए
झड़ी रुमाली ला चौंकाए..
 
सब बच्चों के मन को भाया
गावँ नगर जादूगर आया..

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Replies to This Discussion

सोलह की मात्रा पर बहुत ही सुन्दर प्रवाह बनता है. बहुत ही अच्छी बाल-रचना है, प्रवहमान है. 

पहली पंक्ति को थोड़ा और साधना था. मात्रा बढ़ रही है. 

बाल-साहित्य समूह में रचना प्रेषित करने के लिये, डा. प्राची,  आपको सादर धन्यवाद.

इस बाल गीत को पसंद करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी.. पहली पंक्ति में मात्रानुसार वांछित परिवर्तन कर दिया है. आपका आभार.

अब देखिये प्रवाह कितना सधा हुआ लग रहा है .. . बहुत सही हुआ है अब .

धन्यवाद सौरभ जी

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