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बाल साहित्य Discussions (213)

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झगड़ा है बेकार |

काम क्रोध मद लोभ पर , जब ना लगे लगाम | बिना विचारे जो करे , क्षण में बिगड़े काम | रघुवन में वट वृक्ष विशाला | ताहि समीप बहे लघु नाला | न…

Started by Shyam Narain Verma

2 Jan 17, 2014
Reply by Shyam Narain Verma

बहादुर चंपू (बाल कहानी)

चंपू खरगोश कंधेपर बस्ता टाँगे शाम को ट्यूशन से घर लौट रहा था। उसे आज नया ज्योमैट्री बॉक्स खरीदने के चक्कर में देर हो गई थी। सर्दियों के दिन…

Started by कुमार गौरव अजीतेन्दु

9 Jan 17, 2014
Reply by Saurabh Pandey

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THREE FRIENDS (By Divyansh)

This is the first story framed by Divyansh, when given the names of three creatures DOLPHIN, SEA HORSE AND TORTOISE. Once upon a time ther…

Started by Dr.Prachi Singh

7 Jan 17, 2014
Reply by Saurabh Pandey

आओ मिल के वृक्ष लगाये

  आओ मिल के वृक्ष  लगाये   घर से निकले धरा बचाये । बंजर धरती फिर हरियाये । आओ मिल के वृक्ष  लगाये॥ आओ मिल के वृक्ष  लगाये॥      वन उपवन ध…

Started by बसंत नेमा

4 Jan 17, 2014
Reply by Saurabh Pandey

आजादी

माधव अपने चाचू के साथ चिड़ियाघर घूम रहा था। बीच में ही चाचू से घर चलने की जिद करने लगा। चाचू ने कहा- ''बेटा इतनी दूर आए हैं,पूरा ज़ू देख तो ल…

Started by Vindu Babu

3 Jan 17, 2014
Reply by Saurabh Pandey

बूझो तो जाने (कविता )

 बूझो तो जाने ....      टिक- टिक ,टिक- टिक करती चलते चलते कभी न थकती दिन भर करती काम लेती न एक दाम बूझो तो कौन ......... ?   एक बार लगाओ अग…

Started by annapurna bajpai

3 Jan 17, 2014
Reply by Saurabh Pandey

रेल गाड़ी है गजब सवारी

रेलगाड़ी अपनी खिड़की से, नूतन दृश्य दिखाती,कहीं पहाड़, कहीं पर जंगल, आस पास दिखलाती.अचल अटल पर्वत हैं कैसे, जंगल सुरभित होते..अगर पहाड़ न होते,…

Started by JAWAHAR LAL SINGH

0 Jan 7, 2014

चिडियाघर

चिडियाघर के देखो अंदरचीते भालू हाथी बंदरतोते चिड़िया बगुला तीतरसब बैठे पिंजड़े के भीतरनन्हे मुन्ने जब जब आतेतरह तरह की चीज़ें लातेबड़े प्या…

Started by NEERAJ KHARE

2 Jan 7, 2014
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

बन्दर राजा चले ससुराल : बाल कविता : नीरज कुमार नीर

बन्दर राजा पहन के टाई ठुमक ठुमक के चले ससुराल एक हाथ में छतरी लेकर एक हाथ में लाल रूमाल   शाम ढली तो बन्दर राजा थक कर हो गए निढाल चारो तरफ…

Started by Neeraj Neer

0 Dec 17, 2013

अजब दीपावली (लघु कथा) - अन्नपूर्णा

----------------------------------   अमित पूजा करने के बाद अपनी पत्नी व बच्चों के साथ पटाखे फोड़ने के लिए घर के बाहर आ गया । बच्चों को कुछ फ…

Started by annapurna bajpai

4 Dec 12, 2013
Reply by annapurna bajpai

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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
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