For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे पूछताछ

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे यदि किसी तरह की जानकारी चाहिए तो आप यहाँ पूछताछ कर सकते है !

Views: 12388

Reply to This

Replies to This Discussion

एडमिन महोदय,

तरही मुशायरा ३३ के लिए मिसरा दिया गया है ...

इसको हँसा
  के मारा, उसको रुला के मारा
मिसरा बहुत शानदार है
बधाई


इसका अरकान बताया गया है  ...
   2212        122  /    2212      122
मुस्तफ़यलुन    फईलुन    मुस्तफ़यलुन  फईलुन
 
परन्तु यह गलत है क्योकि इस अरकान में यह ज़िहाफ लग ही नहीं सकता है
रजज  के साथ मुतकारिब की कोई मुरक्कब बहर नहीं है और रमल में २१२२ से १२२ का जिहाफ हश्व में नहीं लग सकता है और हजमें १२२२ से १२२ का जिहाफ हश्व में नहीं लग सकता है


उचित अरकान यह है -
२२१ / २१२२ / २२१ / २१२२
मफईलु / फ़ालातु/मफईलु / फ़ालातु
यह बहर ए मुज़ारे की उप बहर है >>>>>>>> 
बहर ए मुज़ारे मुसम्मन अखरब

निवेदन है विचार कर के कृपया उचित निर्णय लें |

वीनस जी, त्रुटि से अवगत कराने हेतु आभार, सुधार कर दिया गया है ।

SADAR

महोदय
जैसा कि आप जानते ही हैँ मैँ OBO पर नया हूं, OBO लाइब तरही मुशायरा के लिए रचनाऐँ कहां पोस्ट की जायेँ बताने की कृपा करेँ!

"अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं"

मंच संचालक महोदय,
ऐसी कठिन कठिन जमीन कहाँ से खोजते हैं भाई ....    : - (

सही कहें तो समझ आ गया.. छुपे थे कहाँ 

बड़े ग़ज़ब के हैं शातिर, मचल के देखते हैं ... .. . .  :-)))))

 

इस बार के मुशायरे (अंक 36) का तरह मिसरा अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं   बह्र मुजतस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर के अनुसार है जिसका वज़्न १२१२ ११२२ १२१२ ११२  कहा गया है.

मेरा निवेदन है कि इस बह्र के वज़्न की छूट को स्पष्ट किया जाना चाहिये ताकि भ्रम की स्थिति न बने, जैसी अंक 34 के आयोजन के दौरान बन गयी थी. कई शुअरा ऐसी छूट लेने लगे थे जो उक्त बह्र के लिहाज़ से अमान्य थी.

सूचना है कि इस बह्र का वज़्न दो तरह से लिया जा सक्ता है --

१२१२ ११२२ १२१२ ११२ 

१२१२ ११२२ १२१२ २२ 

यदि मेरे कहे में कुछ संशोधन की गुंजाइश हो तो अवश्य अवगत करायें.

सादर

एक संशोधन - 

छूट के अनुसार इस बह्र का अरकान एक ही ग़ज़ल में चार तरह से लिया जा सकता है --

 

१२१२ / ११२२ / १२१२ / २२ 

१२१२ / ११२२ / १२१२ / २२ + १ 

१२१२ / ११२२ / १२१२ / ११२

१२१२ / ११२२ / १२१२ / ११२ + १ 

यह बात भी ध्यान देने की है कि अरकान में अतिरिक्त लघु  { +१ } लेने पर वह हर्फ़ मूल रूप से लघु मात्रिक हो,,,,

दीर्घ मात्रिक को गिरा कर लघु मानते हुए अतिरिक्त लघु रूप में जोड़ने पर लय भंग की स्थिति बन जाती है ...

(मगर दिक्कत यह है कि इसके भी १-२ अपवाद मौजूद हैं)  

बहुत अच्छा हुआ कि तथ्य स्पष्ट हुए.

मिसरा के आखिर में एक अतिरिक्त लघु (लाम) का वज़्न लिया जाना तो सर्व मान्य है और इस छूट का लाभ शुअरा आवश्यकतानुसार लेते ही हैं.

//दीर्घ मात्रिक को गिरा कर लघु मानते हुए अतिरिक्त लघु रूप में जोड़ने पर लय भंग की स्थिति बन जाती है//

बहुत सही.  यह उचित भी नहीं कि अरकान में आखिर में एक गुरु या ग़ाफ़ का वज़्न अतिरिक्त लिया जाये, जिसे गिरा कर पढा जाये.

vinas ji aapke margdarshan me kai baten samne aati hai .........naye logo ko bhram ki sthiti rahati hai . maine aapki gajal ko padhkar hi likhna sikha .ya yah kahoon  sikhne ka prayas kar rahi hoon ...

आपकी ज़र्रा नवाज़िश है, मशकूर हूँ 
यहाँ हम सभी एक दूसरे से सीख रहे हैं और एक दूसरे के मार्गदर्शक हैं ... कारवाँ चलता रहे 
आमीन 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service