For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस बार का तरही मिसरा 'बशीर बद्र' साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई"
वज्न: 212 212 212 212
काफिया: ई की मात्रा
रद्दीफ़: रह गई
इतना अवश्य ध्यान रखें कि यह मिसरा पूरी ग़ज़ल में कहीं न कही ( मिसरा ए सानी या मिसरा ए ऊला में) ज़रूर आये|
मुशायरे कि शुरुवात शनिवार से की जाएगी| admin टीम से निवेदन है कि रोचकता को बनाये रखने के लिए फ़िलहाल कमेन्ट बॉक्स बंद कर दे जिसे शनिवार को ही खोला जाय|

इसी बहर का उदहारण : मोहम्मद अज़ीज़ का गाया हुआ गाना "आजकल और कुछ याद रहता नही"
या लता जी का ये गाना "मिल गए मिल गए आज मेरे सनम"

विशेष : जो फ़नकार किसी कारण लाइव तरही मुशायरा-2 में शिरकत नही कर पाए हैं
उनसे अनुरोध है कि वह अपना बहूमुल्य समय निकाल लाइव तरही मुशायरे-3 की रौनक बढाएं|

Views: 8693

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सौरभ भाई जी, आपने दिल से ग़ज़ल की समीक्षा की, मेरी टूटी फूटी शायरी को जो मान बख्शा - मैं दिल से मशकूर हूँ आपका ! आप ने जिस तरमीम का सुझाव दिया है - सर माथे पर ! कृपया स्नेह यूँ ही बनाये रखें !
जो ये टूटी-फूटी.. तो सूरतेमुसल्लम क्या होगी? ... भाईजाँ?!!
ज़हे नसीब उस्ताद-ए-मोहतरम, आपकी शाबाशी मिली - और भगवान से क्या मांगूं ? सादर धन्यवाद आपकी ज़र्रा-नवाजी का !
भाई प्रभाकर जी .
आपकी शायरी जो प्रौढ़ता देखने को मिल रही है वह अनमोल है एक एक शेर नपातुला और सादगी से भरपूर है लेकिन जो निहितार्थ हैं वह मन को जकड कर रहते हैं ...मेरी बधाई स्वीकार करे ....आपकी ग़ज़ल के कुछ मेरी पसंद के शेर ....

ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई !
गो अधूरी मेरी ज़िंदगी रह गई !
............
चूल्हा भी गया, ना रसोई बची !
टेबलों में घिरी पालथी रह गई !

आग से तो नहीं राम की बात पे,
रूह को मार के जानकी रह गई
डॉ ब्रिजेश त्रिपाठी जी, बहुत बहुत शुक्रिया आपकी ज़र्रा नवाजी और हौसला अफजाई का ! कृपया आशीर्वाद बनाये रखें !
योगी सर ये तिल फूल नहीं महा भोग है....इतना खाया की अघा गए है..ग़ज़ल इतनी खूबसूरत है की जो नवीन भैया मुशायरा लूटने की फ़िराक में थे..... लीजिये ..जो कुछ लूटा था सब आपकी ग़ज़ल पर लुटा दिया|
बाकी की व्याख्या सौरभ सर ने पूरी ही कर दी है|
बेहतरीन|
नवीन भाई, अभी मैदान नहीं छोड़ना ! अभी आपसे और बहुत से आशार की तवक्को है हम सब को ! आर पी अगर सिपहसालार है तो आप सही मायने में इस मुशायरे के योद्धा है ! ये मुशायरा हर लिहाज़ से आपका ही रहा है हुज़ूर !
राणा भाई, ये मोहब्बत है आपकी ! हकीकत तो यह है कि अप सब दोस्तों की अशर्फियों भरी पोटलियों के सामने मेरी खोटी चवन्नी एक कोने में दुबकी बैठी है !
वाह... वाह... हर शे'र काबिले तारीफ़ और दिल में उतरनेवाला है.
आपकी नज़र कुछ पंक्तियाँ तेरा तुझको अर्पण क्या लगे मेरा की भावना से...
जान की खैर माँगे नहीं जानकी.
मौन- कह बात सब जानकी रह गयी..

वध अवध में खुले-आम सत का हुआ.
अनसुनी बात सम्मान की रह गयी..

ध्वस्त दरबार पल में समय ने किया.
गढ़ी शेष हनुमान की रह गयी..
सुन्दर-सुन्दर सलिलजी..

>>>>वध अवध में खुले-आम सत का हुआ.
अनसुनी बात सम्मान की रह गयी..

क्या कुछ नहीं कह रही ये दो पंक्तियाँ..!!
..’आरूढ़ हुए’ से लेकर ’हो आए’ तक वध सत का ही हुआ.. खूब!!

>>>ध्वस्त दरबार पल में समय ने किया.
गढ़ी शेष हनुमान की रह गयी..br />
न कोहबर न ही सौरी न कोपभवन न राजभवन न कनक मन्दिर कुछ भी तो नहीं रहा .. रही तो बस एक सरयू.. बची तो बस एक गढ़ी..
जो था, वह भी गया पल ही में न?.. मुलाहिजा हो -

एक परिन्दा तलक पर न मारे, मगर-
सारी कोशिश धरी की धरी रह गई..!!
जय हो...
वेश कितने बदल कर भले आयें वो
राम के शत्रुओं की न चल पायेगी
वह समय आएगा जल्द ही साथियों
अब अयोध्या अ वध ही कही जाएगी ..
इस समय तो अवध है ग्रहण काल में
काल की गति भी देखो थमी रह गयी
कुछ समय तो अब इनकी भी चल जाएगी
आसुरी शायद मन की छिपी रह गयी
कोई खतरा अमन को आये न अब कभी
सारी कोशिश प्रशासन की यही रह गयी
सत्य का वध न कोई,पर कर पायेगा
हशरतें रावणों की धरी रह गयीं ...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
21 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service