For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-70

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 70 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह शायर-ए-इन्किलाब जनाब जोश मलीहाबादी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
"जिसे हो जुस्तजू अपनी वो बेचारा किधर जाए"

1222   1222    1222    1222

मुफाईलुन मुफाईलुन  मुफाईलुन मुफाईलुन

(बह्र: हजज़ मुसम्मन सालिम  )
रदीफ़ :- जाये
काफिया :- अर (किधर, नज़र, मर, संवर, असर आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 22 अप्रैल दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 23 अप्रैल दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 22 अप्रैल दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 16384

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

कहो ख़ामोश आईनों को उन तक ये ख़बर जाये

अगर हों दाग़ चहरे पर तो क्यूँ दरपन सुधर जाये

 

कभी चौखट न लांघे याद रखना बात कमरे की

जो घर से बात निकली तो, न जाने फिर किधर जाये

 

जो लम्हा शादमाँ निकले उसे भर लो निगाहों में

अगर ग़मगीन हो लम्हा तो कह उससे, ग़ुज़र जाये

 

मैं सीने में हवा भर, पूरे दम से, फूँक ही दूँगा

रुकूँ मैं क्यूँ ? चढ़ा तूफ़ाँ उतरता है, उतर जाये

 

तू रोना सीख ले, तो दर्द के क़िस्से बहुत से हैं

धुले अश्क़ों से तो शायद तेरा नग़्मा निखर जाये

 

ख़मोशी की सदा अलफ़ाज़ से भी तेज़ होती है

वो समझेंगे मेरी हालत अगर मुझ पर नज़र जाये

 

हरिक सच, अपने क़दमों के निशाँ कुछ छोड़ देता है  

हबीब अपना सचाई से मुकरता है , मुकर जाये

 

अगर तय है बिखर कर बीज वृक्षों में बदलते हैं

दुआ करता हूँ मैं, मेरी वफ़ा टूटे, बिखर जाये

 

किसी की चाह हो दिल में तो रस्ते भी बुलाते हैं

 “ जिसे हो जुस्तजू अपनी वो बेचारा किधर जाये’’

**********************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

कभी चौखट न लांघे याद रखना बात कमरे की

जो घर से बात निकली तो, न जाने फिर किधर जाये
.
वाह वाह वाह ..क्या ख़ूब बात कही है आदरणीय..ढेरों दाद लें इस शेर पर ओर पूरी ग़ज़ल पर..

आ. नीलेश भाई , आपका हृदय से आभार सराहना के लिये ।

बहुत अच्छे अशआर कहे हैं आपने आ0 गिरिराज जी..... शानदार ग़ज़ल !!!

तू रोना सीख ले, तो दर्द के क़िस्से बहुत से हैं/धुले अश्क़ों से तो शायद तेरा नग़्मा निखर जाये---- लाजवाब !!!

आदरणीय अजीत भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका

जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,वाह वाह,बहुत ख़ूब,बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई है जनाब,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं।

"हबीब अपना सचाई से मुकरता है,मुकर जाये"

इस मिसरे में आपने 'सचाई' इस्तेमाल किया है,जबकी सही शब्द है "सच्चाई",यह मिसरा इस तरह कर लीजिये :-

"हबीब अपना अगर सच्चाई से मुकरे,मुकर जाये"

"किसी की चाह हो दिल में तो रस्ते भी बुलाते हैं"

यह मिसरा ऐब-ए-तनाफ़ुर का शिकार हो गया है,यह मिसरा अगर इस तरह करलें तो ठीक हो जाएगा :-

"अगर चाहत किसी की हो तो रस्ते भी बुलाते हैं"

बाक़ी शुभ-शुभ ।

आदरणीय समर भाईसाहब, सच्चाई सही शब्द है. किन्तु, सचाई भी स्थानापन्न हुआ करता है. जैसे उम्मीद को उमीद कर लेते हैं. इसी तरह, ख़ामोशी को ख़मोशी कर लिया जाना एक सहज प्रक्रिया है.  

ऐसा किया जाना ’ग़ज़ल’ कहने की कोशिश करने वालों की दुनिया शायद आसानी से मान्य हुआ करता है.

कृपया, इस विषय पर रोशनी डालें, आदरणीय.
सादर

आदरणीय सौरभ भाई , बात साफ करने के लिये आपका हार्दिक आभार ।

जनाब सौरभ पांडे जी,आप सही फ़रमा रहे हैं,'सचाई' भी ठीक है,याद आ गया ।

"होटों पे सचाई रहती है...."

बहुत दिनों के बाद तरही मुशायरा अपने पूरे शबाब पर है,अच्छी चर्चाऐं हुईं ।

जी जी, जब दिलमें सफ़ाई हो तो सचाई सीधे समझ में आ जाती है. हा हा हा..

विन्दुओं को स्पष्ट करने केलिए आपका सादर धन्यवाद, आदरणीय समर साहब. 

आपने सही कहा हम सभी ’सीखने-सिखाने’ की प्रक्रिया में संलग्न हों. यह अत्यंत आवश्यक है

सादर धन्यवाद आदरणीय 

आदरणीय समर भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया । वैसे सचाई और सच्चाई दोनो सही हैं फिर भी आपका इस्लाह मुझे स्वीकार है , आपका बहुत बहुत शुक्रिया , ऐबे तनाफुर वाला मिसरा भी मै अपने फाईल मे सुधार लिया हूँ , यहाँ पर संकलन मे सुधार लूँगा , आपका बहुत शुक्रिया ।

जनाब गिरिराज भंडारी जी,अब जबकि यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि 'सचाई' भी ठीक है,इस हिसाब से आपने जो मिसरा कहा है उसी को रहने दें ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service