For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कालजयी उपन्यास “ बिम्ब - प्रतिबिम्ब ” का लोकार्पण

       कालजयी उपन्यास  बिम्ब - प्रतिबिम्ब   का लोकार्पण

      नवभारत एवं प्रबुध्द भारत का शुभारंभ करनेवाले सच्चे युग पुरुष तथा भारतीय धर्म – संस्कृति के महानायक स्वामी विवेकानंदजी के जीवनी पर आधारित मूल मराठी में वरिष्ठ साहित्यकार चन्द्रकांत खोत द्वारा लिखित तथा प्रतिष्ठित लेखक एवं पत्रकार रमेश यादव द्वारा हिन्दी में अनूदित उपन्यास      “बिम्ब - प्रतिबिम्ब ” का लोकार्पण समारोह हाल ही में मुंबई के महाराष्ट्र चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स सभागृह, कालाघोडा, फोर्ट में संपन्न हुआ.

     इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई पुलिस आयुक्त डॉ. सत्यपाल सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को पुनर्जागृत करने में स्वामी विवेकानन्द्जी का महत्वपूर्ण स्थान है.    “ भारतीय संस्कृति - जगत को नया रास्ता दिखा सकती है ” इस तरह की घोषणा एवं पश्चिमी देशों को प्रकाश दिखाने का कार्य सर्व प्रथम स्वामी विवेकानंदजी ने किया. इसी संदर्भ में उन्होंने वेदों, शास्त्रों और स्वामी दयानंद सरस्वती की महत्ता और योगदान का भी विस्तार से उल्लेख किया.

     मुंबई विश्वविद्यालय  के पूर्व विभागाध्यक्ष रामजी तिवारी ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए स्वामी विवेकानंदजी की 150 वीं जयंती के इस शुभ अवसर पर उन्हें अपनी भावांजलि समर्पित करते हुए कहा कि पश्चिमी जगत से वापस आकर स्वामीजी ने भारत के लोगों में आत्मविश्वास जागृत करने का अदभुत कार्य किया. नवयुग के इस महान “ समन्वयाचार्य ” ने राष्ट्र  को “ उठो , जागो ” का महामंत्र दिया. स्वामीजी यूरोप के भौतिकवाद और पूरब के आध्यात्मवाद के समन्वय के पक्षधर बन गए थे.

    श्री तिवारीजी ने आगे कहा कि अनुवाद का कार्य बहुत ही कठिन साध्य है. भाषा ज्ञान और भाव प्रवीणता इसके आवश्यक अंग हैं. अनुवादक रमेश यादव की प्रशंसा करते हुए उन्होंने इस विशेष कार्य के लिए उन्हें साधुवाद दिया, साथ ही यादव जी को अनुवाद विधा का कुशल शिल्पी बताते हुए “ बिम्ब- प्रतिबिम्ब ” उपन्यास को हिन्दी में अनुदित उनके जीवन की श्रेष्ठ कृति बताया.

   
 इस भव्य समारोह में साहित्य जगत की प्रसिध्द विभूतियों में प्रो.जगदम्बा प्रसाद दीक्षित, डॉ. सूर्यबाला, ओमा शर्मा, खोत आदि ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामीजी भारत के ही नहीं अपितु विश्व के युगपुरुष थे. स्वामीजी दार्शनिक तत्वज्ञानी के साथ-साथ अच्छे गायक, संगीतज्ञ और वादक भी थे. भारत में समाजवाद का युग स्वामी विवेकानन्दजी के समय से ही शुरू हो गया था. उन्होंने पश्चिम के भौतिकवाद और समाजवाद का अध्ययन करते हुए उसको आध्यात्मिक समाजवाद का रूप दिया.

       समस्त विश्व को हिन्दू धर्म – संस्कृति का लोहा मनवानेवाले स्वामी विवेकानंदजी के जीवन चरित्र पर आधारित – लोकार्पित उपन्यास “ बिम्ब – प्रतिबिम्ब ” के अंशो का अपनी ओजस्वी एवं भावानुरूप वाणी में पाठ करते हुए प्रसिध्द अभिनेता, एवं रंगकर्मी अंजन श्रीवास्तव, अभिनेत्री नेहा शरद, रंगकर्मी रमेश राजहंस तथा आकाशवाणी उदघोषक आनंद सिंह ने उपस्थित जन समुदाय को भाव - विभोर कर दिया.

     इससे पूर्व साहित्यकार एवं कवि डॉ.रमेश मिलन और रंगकर्मी विष्णू मेहरा ने अपने - अपने      अंदाज में अतिथियों और उक्त कलाकारों का परिचय देते हुए श्रोताओं की वाह - वाही लूटी.

वरिष्ठ कवि आलोक भट्टाचार्य के कुशल संचालन में संपन्न इस भव्य समारोह में उपन्यास के मूल लेखक चन्द्रकांत खोत, अनुवादक रमेश यादव को सम्मानित किया गया. विद्या यादव ने खोत साहब की तिलक - आरती करते हुए इस कालजयी कृति के लिए उनका हार्दिक अभिनंदन एवं दर्शकों की ओर से कृतज्ञता व्यक्त किया.  

    समारोह में मुंबई तथा देश के अनेकानेक क्षेत्रों से पधारे हिन्दी - मराठी के कई मान्यवर साहित्यिक, रसिक श्रोता, विद्वान एवं सुधीजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे. मसलन डॉ. परमानंद यादव, डॉ.आर.पी. सिंह, गुलाबचन्द, रासबिहारी पांड्ये, रामजी यादव, हरी मृदुल, शैलेश सिंह, अनिल दाभाडे, अशोक मुले, अरूण कुमार पांड्ये, अरूण घाडीगावकर,अविनाश पाटील, दादा गावकर, सहदेव वारीक, विनायक चव्हाण, डॉ.दृगेश यादव,सुनील कर्णिक,मानकर काका, मारूती शिंदे,सदानंद राणे, नीलय उपाध्याय,निवेदिता, गीता श्रीवास्तव, डॉ. शुभदा यादव, जयश्री यादव इत्यादि का नाम उल्लेखनीय है.        

   प्रांरभ में शास्त्रीय गानकोकिला डॉ. सोमा घोष, अरविंद लेखराज ने अपने गायन एवं वंदना से उपस्थित जन समुदाय को मंत्रमुग्ध कर दिया.

   अंत में पांडूरंग ठाकरे ने संत ज्ञानेश्वरजी के पसायदान का पाठ करते हुए विश्वशांति की प्रार्थना की और चन्द्रकांत खोत तथा रमेश यादव के लिए मान्यवरों ने उनके निरंतर लेखन के लिए शुभकामनाएं इस प्रकार से व्यक्त की –

     “ गुजरो जो बाग ये दुआ मांगते चलो,

       जिसमें खिले हैं फूल वह डाली हरी रहे.”

प्रस्तुति : डॉ. रमेश मिलन ( वरिष्ठ साहित्यकार)  

फोन - 09029784346         

  

 

Views: 1452

Attachments:

Reply to This

Replies to This Discussion

इस सार्थक रिपोर्ट के लिए लेखक आदरणीय रमेश यादवजी को हार्दिक बधाई. मुंबई के कालाघोड़ा में आयोजित समारोह को आपने शब्दों से जीवंत किया है.

पुस्तक बिम्ब-प्रतिबिम्ब इन मायनों और भी विशिष्ट हो जाती है कि स्वामी जी की 150वीं जयंती वर्ष में इसका प्रकाशन और लोकार्पण हुआ है. मूल लेखक आदरणीय चंद्रकांत खोत तथा अनुवादक आदरणीय रमेश यादव जी को इस पुनीत कार्य के लिए हृदय से धन्यवाद और शुभकामनाएँ.

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
Saturday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service