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एक घोषणा :- प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र "हमारा मेट्रो" आपकी रचनाओं को नियमित प्रकाशित करेगी...

प्रिय सदस्यों, 

बड़े ही हर्ष के साथ सूचित करना है कि नई दिल्ली से प्रतिदिन  प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र "हमारा मेट्रो" प्रत्येक शनिवार को अपने साहित्य पृष्ठ पर "ओपन बुक्स ऑनलाइन से" नामक कालम अंतर्गत एक रचना ओ बी ओ से प्रकाशित करेगी | प्रकाशन हेतु रचना का चयन साप्ताहिक रूप से ओ बी ओ प्रधान संपादक द्वारा किया जायेगा और संपादक "हमारा मेट्रो" को उपलब्ध करा दिया जायेगा | 
हमें लगता है कि इस कार्य में आप सभी की सहमति होगी, फिर भी यदि किसी सदस्य को अपनी रचना "हमारा मेट्रो" में प्रकाशन पर आपत्ति हो तो कृपया इ मेल आई डी admin@openbooksonline.com पर अपनी आपत्ति दर्ज करा दें, आपकी रचना नहीं भेजी जायेगी | 
आप सबका अपना 
एडमिन 
ओपन बुक्स ऑनलाइन 
आदरणीय साथियों, "हमारा मेट्रो" दैनिक समाचार मे सदस्यों की रचनाएँ करीब एक वर्ष तक प्रकाशित हुई थी उसके बाद कुछ अपरिहार्य कारण वश ओ बी ओ ने उक्त समाचार पत्र को रचनाएँ भेजना बंद कर दिया |
वर्तमान में यह पोस्ट अप्रासंगिक हो चुका है अतः इस पोस्ट हेतु टिप्पणी बॉक्स बंद किया जाता है |
सादर सूचनार्थ |
गणेश जी बागी
मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
२५.११.२०१३

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Replies to This Discussion

बहुत बहुत साधुवाद आपको........
इस प्रकार  सभी रचनाकारों की  रचनाएं और अधिक पाठकों तक पहुंचेंगी .  यह एक  प्रशंस्य  कार्य है  क्योंकि हर  रचनाकार का यह दिली अरमां होता है कि  अधिकाधिक  लोगों तक पहुंचे

इस सद्कार्य के लिए  ओ बी ओ प्रबंधन को  धन्यवाद

यह बहुत ही अच्छी खबर है . इससे काफी उत्साह बढ़ेगा

  

    

आचार्य संदीप कुमारजी, "लूट लिया गाँधी का देश" 
बहुत बहुत सच्चाई व्यक्त करती है | भारत मेट्रो में 
छपने से इसकी महत्तता और बढ़ गई, हार्दिक बधाई 
मेरा सोच मेरे व्यंग में इस प्रकार है |

संविधान की आड़ में, खूब पले गद्द्दार,

इश्वर का विधान भी, दिख रहा लाचार |
 
घर के बाहर डटे हुए, भारी भरकम पहरेदार,
घर-घर के अन्दर बहुत,  छुपे हुए है गद्द्दार | |  
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

आचार्य संदीप कुमार जी को बधाई.

अयँ !!!!! .. भाई गणेशजी.. बधाई हो !! ..

सस्नेह !

सौरभ जी, आपकी रचना ''चीख सिलवटों की'' मेट्रों में प्रकाशित होने की आपको बहुत बधाई. 

धन्यवाद शन्नोजी. आपने तो इस रचना को ओबिओ पर देखा ही है.

इस छपाई के लिये हमारा मेट्रो   प्रबन्धन को मेरा सादर प्रणाम.

heartly congratulation Saurabh ji.

किस बात की.. इस पूरी प्रक्रिया में हमने क्या किया है...  रचना तो पहले से ही ओबिओ पर है.. हा हा हा हा हा . .  

काश, आपने रचना पर दो शब्द कहे होते. :-))))))

आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी, सादर 

सिलवटें कागज़ पे हो या कही और , रचना की जान है , बधाई 

आदरणीय प्रदीपजी, सादर प्रणाम.

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