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शागिर्द , लव इन टोकियो , फिर वही दिल लाया हूँ ,जिद्दी , एक कली मुसकाई ,एक बार मुस्कुरा दो जैसी मनोरंजक फिल्मों के अभिनेता  एवं छलिया बाबू के निर्देशक जॉय मुखर्जी का आज लीलावती अस्पताल में निधन हो गया. अपने समय के चौकलेटी हीरो जॉय मुखर्जी की फिल्मों का एक अलग ही रंग होता था . इस सदाबहार अभिनेता को  मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूँ.

 

 

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जीवन की रंगोली के अपने विन्यास हुआ करते हैं जिसमें अपने समय के लोग अपने-अपने हिसाब से रंग भरा करते हैं.  किसी सभ्य समाज की इकाई एक मनुष्य के सफल यापन हेतु पाँच अत्यावश्यक तत्त्वों में से मनोरंजन का रंग सबसे अलहदा होता है. भारतीय परिवेश में एक बहुत बड़े वर्ग को कई-कई स्तरों पर प्रभावित करती हिन्दी चलचित्र की दुनिया को जॉय मुखर्जी ने अपने समय मे प्रातःकाल की मंद बयार का वातावरण उपलब्ध कराया था.

यह उनकी ’गुडी-गुडी’ व्यक्तित्व का ही असर था कि शागिर्द फिल्म में उनका रोल एक अविस्मरणीय रोल बन गया जहाँ एक ओर सायराबानू की निश्छल कमनीयता का अभिभूत करता आलोड़न था तो दूसरी ओर आइ एस जौहर का चकित करता अनुशासित अभिनय था. जॉय किसी से कहीं भी दोयम नज़र नहीं आये थे.

अपने दौर की दशाओं से प्रभावित और दशाओं को प्रभावित करते इस अद्भुत अभिनेता को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि.

जोय मुख़र्जी का जाना दुखद | उस दौर के इस महान अभिनेता को विनम्र श्रद्धांजलि जब फिल्मों से , उनके कलाकारों से हम खुद को identify करते थे | परदे की भाव भंगिमाएं कई कई दिनों तक हमारे जीने का हिस्सा हुआ करती थी | अब तो मनोरंजन के बहुतायत के बीच स्वस्थ और सुखद की खोज भारत की खोज से कम नहीं | 

भावभीनी श्रद्धाञ्जलि

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