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इन्तेख़ाबात की तक़त तो अभी हाथ में है,
आओ सच्चाई पे ही चाप लगाई जाये।
बेहतरीन शे'र , ख़ूबसूरत ग़ज़ल , इमरान जी
को मुबारकबाद एक सुन्दर आग़ाज़ के लिये।
एडमिन जी अनुरोध है कि इस बेहतरीन अशआर को तुरत इमरानभाई की ग़ज़ल का हिस्सा बना लिया जाय.
भाई वाह... वाह.. बहुत खूब.
के आज, गुलज़ार में फिर प्यार की बयार चले,
आओ मिलजुल के कोई बात बनाई जाये
इस गिरह के शे'र को इमरान जी की ग़ज़ल का हिस्सा बना दिया गया है |
सादर..
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