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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Discussions (1,197)

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"आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी आदाब, शानदार ग़ज़ल हुई है जनाब हर शे'र रवा…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
Reply by Samar kabeer

"आदरणीय जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पे…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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"आदरणीय जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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"आदरणीय जनाब अनिल कुमार सिंह जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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"//रौशन भी होगा कुछ शब-ए-तारीक घर मेरा' यूँ लिखें।//  "जब आसमाँ  का चाँद  रवानी  में…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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"//जनाब इस मिसरे का वज्न मेरे हिसाब से रौ2शन2 भी1 हो2गा1 कुछ2 शब2 ता 2री2क1 घर2 मे1रा…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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"आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। कई अश'…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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"जनाब दण्डपाणि नाहक साहिब आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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"मुहतरम जनाब शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ा…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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"ज़ाहिर न शिकवः हर्फ़े-ज़बानी में आएगा  ग़म का बयान आँखों के पानी में आएगा  सोचा न थ…"

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied Aug 28, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-122

431 Aug 29, 2020
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Aazi Tamaam posted a blog post

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२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
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दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
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"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
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२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
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गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
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212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
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