| 2122 - 1122 - 1122 - 22 या 112 | 
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| तेरे होंठों से जुदा जाम रहा हूँ लेकिन | 
| रोजे-अव्वल से ही बदनाम रहा हूँ लेकिन | 
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| हक़ जताने से कभी हक़ नहीं होता साबित | 
| फ़र्ज़ के साथ में इकराम रहा हूँ लेकिन | 
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| जिंदगी की तो कभी सुबह नहीं बन पाया | 
| तेरी तनहाई भरी शाम रहा हूँ लेकिन | 
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| यूँ लताफत की हिमायत में खड़ा रहता हूँ | 
| सत्य के वास्ते दुरदाम रहा हूँ लेकिन | 
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| मैं अहिल्या के लिए राम नहीं बन पाया | 
| राधिका के लिए घनश्याम रहा हूँ लेकिन | 
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| तेरी यादों की सुखन में मैं रहा या न रहा | 
| तेरी हर नज्म का पैगाम रहा हूँ लेकिन | 
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| आज के दौर की रफ़्तार से तो जुड़ न सका | 
| हाँफते शह्र का आराम रहा हूँ लेकिन | 
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| लताफत- नम्रता या विनय, दुरदाम- अविनेय हठी | 
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Comment
आदरणीय सौरभ सर, इस प्रयास पर आपका अनुमोदन आश्वस्त करता हुआ सा है. अभिभूत हूँ. आपका स्नेह पाकर सदैव प्रेरित होता हूँ. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय मिथिलेशभाई, ग़ज़ल के अश’आर आपकी गहन सोच के प्रतिफल हैं. दिली दाद कुबूल कीजिये.
| आज के दौर की रफ़्तार से तो जुड़ न सका | 
| हाँफते शह्र का आराम रहा हूँ लेकिन | 
कमाल ! कमाल !
आदरणीया राहिला जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार बहुत बहुत धन्यवाद सादर
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर , आपकी दाद मेरे लिए सदैव प्रेरणादायक होती है. ग़ज़ल की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, आपकी दाद पाकर दिल खुश हो गया. ग़ज़ल की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय बैजनाथ जी, ग़ज़ल पर सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय सुशील सरना सर, ग़ज़ल की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय गिरिराज सर, ग़ज़ल पर आपका अनुमोदन पाकर आश्वस्त हुआ हूँ. सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय रवि जी, आपकी दाद मेरे लिए बहुत मायने रखती है. सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
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