For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" अंकल " , बस यही आवाज़ निकल पायी थी उसके मुँह से |
पहले भी यही आवाज़ निकलती थी , पर वो आवाज़ ख़ुशी की होती थी |
आज वो अपनी सहेली के घर बिना फोन किये आई , और अब अस्पताल में बेसुध पड़ी थी |
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 15, 2015 at 1:16am

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , आपकी उपस्थिति मनोबल बढ़ाती है | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:52pm

ओह ! हृदयविदारक ! आपकी इस प्रस्तुति ने झकझॊर दिया भइया.. 

शुभ-शुभ

Comment by विनय कुमार on May 13, 2015 at 2:41am

बहुत बहुत आभार आदरणीया ज्योत्स्ना कपिल जी । 

Comment by विनय कुमार on May 13, 2015 at 2:40am

बहुत बहुत आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी । एक उत्कृष्ट लघुकथाकार द्वारा दी गयी ये टिप्पणी बहुत मनोबल बढाती है..

Comment by jyotsna Kapil on May 12, 2015 at 10:40pm
सुंदर ,सार्थक एवम् दिल को झकझोरने वाली कथा के लिए बधाई आ विनय कुमार जी।
Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:26pm

तथाकथित रिश्‍तों के स्‍याह पक्ष को उजागर करती सशक्‍त लघुकथा । यह आपकी श्रेष्‍ठ लघुकथाओं में से एक है। सफल प्रस्‍तुति हेतु आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय विनय भाई जी ।

Comment by विनय कुमार on May 12, 2015 at 12:53am

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री वीर मेहता जी..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:25pm

पतन की पराकाष्टा को सफलता के साथ दिखाती सुन्दर लेकिन मन को झकझोर देने वाली रचना., आदरणीय विनय कुमार जी ....

सादर बधाई स्वीकार करे !

Comment by विनय कुमार on May 11, 2015 at 12:03pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री मिथिलेश वामनकर जी ..

Comment by विनय कुमार on May 11, 2015 at 12:02pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सुनील जी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service