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ग़ज़ल :- डूब रहे से नाव की बातें

ग़ज़ल :- डूब रहे से नाव की बातें

डूब रहे से नाव की बातें ,

थोथी है बदलाव की बातें |

 

राजनीति के दुर्दिन आये ,

सब करते अलगाव की बातें |

 

आईनों की हाट ग़ज़ब है ,

अन्धों के मुंह भाव की बातें |

 

भूल गये मन और पसेरी ,

महँगाई में पाव की बातें |

 

जाति धर्म सब वोट के मुद्दे ,

खत्म करो ये घाव की बातें |

 

भत्ता पेंशन और विद्याधन ,

छोड़ो मनबहलाव की बातें |

 

गली गली में मिलते कट्टे ,

बच्चे करते ताव की बातें |

 

गीत एकता के हम गायें ,

बहुत हुई बिखराव की बातें |

 

 

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Comment

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Comment by Abhinav Arun on February 4, 2011 at 12:58pm

आदरणीया वंदना जी ,श्री बागी जी गज़ल को सराहा आपने, आभारी हूँ |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 2, 2011 at 7:51pm

वाह वाह अरुण जी , क्या कहे इस ग़ज़ल पर , बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल भाई , कुछ शे'र तो ऐसे है जो सीधे कलेजे मे उतरते है ....

गली गली में मिलते कट्टे ,

बच्चे करते ताव की बातें

दाद स्वीकार कीजिये भाई , बधाई आपको |

Comment by Abhinav Arun on January 31, 2011 at 4:01pm
शुक्रिया नवीन जी गज़ल आपको पसंद आयी | आभार |

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